पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१३५

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सितार मालिका सुमेरुखंडी ताने बनाने का दूसरा क्रम यह भी है कि कुछ स्वरों पर 'दाड़ा दाड़ा दाड़ा दाड़ा' इस प्रकार बजाइये कि कभी किसी एक स्वर पर जोर की मिज़राब लगे तो कभी किसी दूसरे स्वर पर। इस प्रकार एक स्वर जोर से सुनाई देगा तो दूसरा हल्का । उदाहरण के लिये हम एक स्वरसमुदाय आठ स्वरों का लेते है। इनमें जो स्वर बड़े टाइप में छपे हैं उन पर जोरदार मिज़राब लगाइये और जो छोटे टाइप में हैं उन पर हल्की । थोड़े अभ्यास से ही आप इसे सरलता से कर सकेंगे। इसका एक उदाहरण देखिये:-- ! नि सा नि रे सा रे नि सा-यहां सब पर बराबर नाद है नि सा नि रे सा रे नि सा--यहां पहिले नि और सा स्वर पर जोर है । इसी तरह अन्य भी समझिये:-- नि सा नि रे सा नि सा : नि सा नि रे सा रे नि सा नि सा नि रे सा रे नि सा नि सा नि रे सा रे नि सा या नि सा नि रे सा रे नि सा इन आठ-आठ स्वरों के टुकड़ों को कई बार बजाइये। आप अनुभव करेंगे कि यद्यपि न तो आप स्वर बदल रहे हैं और न लय, किन्तु प्रत्येक टुकड़ा अलग-अलग ही प्रतीत होगा। इस प्रकार आप राग में लगने वाले स्वरों के आधार से चाहे जैसी छोटी या बड़ी तान बनाकर श्रोताओं से वाह-वाही ले सकते हैं। गिटकिड़ी की तानें बनाना-- इन तानों को बजाने के लिये, पहिले गिटकिड़ी पर खूब अभ्यास कर लीजिये । जब हाथ सध जाय तो राग में लगने वाले स्वरों के आधार से, चाहे जितनी मात्रा की ताने बना लीजिये। लाग-डाट की ताने बनाना--- पांचवें अध्याय में दिये हुए क्रम से लाग-डाट का अभ्यास भली भांति करने के बाद जब दो-दो सप्तकों की ताने बजाई जायेंगी, जैसे, रेमा निसा रें, मांनि धनि सा, निध पुध नि-, थप मप धु- आदि। इन्हें लाग-डाट की तानें कहा जायेगा। यहां पर अलंकारों का एक क्रम बना कर अन्तिम स्वर को दूसरे सप्तक का बना दिया गया है। इसी प्रकार आप भी अनेक ताने बना सकते हैं। आशय यही है कि यदि आप ताने बनाना चाहें तो चाहे जितनी और चाहे जिस प्रकार बना डालिये, किन्तु अपने राग, लय और ताल का ध्यान रखिये । प्रत्येक मात्रा पर पैर चलाना न भूलिये। साथ में इस बात का भी ध्यान रखिये कि आपको अपनी