पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१३६

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चौदहवाँ अध्याय गति की प्रत्येक मात्रा से गति में मिलने का अभ्यास होना चाहिये। इस प्रकार आपके हाथ तो ताने बजाते रहेंगे, पैर प्रत्येक मात्रा पर ताल देता रहेगा और दिमारा एक-दो तीन-चार की गिनती गिन रहा होगा। इन बातों को ध्यान में रख कर ही आपको सितार बजाने का अभ्यास करना है। मिज़राब के बोलों से तानों का निर्माण- ताने बजाते समय कभी-कभी स्वरों के ऊपर मिज़राबों के कुछ बोलों का क्रम भी बजाया जाता है। जैसे उदाहरण के लिये एक बोल ‘दादा ऽरदा, दादिर दारा' को ही यदि लगातार किन्हीं भी स्वरों पर चार बार बजा दें तो सोलह मात्राएं पूरी हो जायेंगी। इसी प्रकार यदि अद्दिड़ दाड़ा को एक मात्रा में अद्दिडदाड़ा करके इस प्रकार बजायें कि 'अ' बोल पर कुछ भी न बजे तो यह सुनाई तो देगा दिडदाड़ा परन्तु बजेगा -दिडदाड़ा । अर्थात् एक मात्रा में पहिली चौथाई पर पूर्ण शान्ति रहेगी, दूसरी चौथाई पर दिड' और शेष आधी में 'दाड़ा बजेगा । इस प्रकार की तानें जितनी मात्रा में चाहें बजा सकेंगे। इसी प्रकार की अन्य मिजराबें दाड़ादाड़ा ददाड़ ; दादादा दाइदाड़ा; दाड़ाड़ा दिदिड दाद्रिदारा द्रिदा-रदा; दाद्रिदादा -रदादारा; दादिदिङ्ग; दड़-दिदिड़; दाड़ दिडदा दाड़ा हैं । अन्तिम मिजराब दूनी लय में डेढ़ मात्रा में आयेगी। इस प्रकार आपको दस मिजराबें बनाकर बतला दी हैं; इसी आधार से अनेक मिजराबें आप बना सकते हैं। एक ही मिजराब से काफी लम्बी तान बन जायेगी । दूसरी तान में दूसरी मिजराब को लगातार प्रयोग कर सकते हैं। अब अगले अध्याय में तीये बनाने का क्रम देखिये।