पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१४०

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पन्द्रहवां अध्याय छः धा का तीया- कतकत कतकत धा-कता -न,१ धा-कता o ३ ६,कत धा-कता न.१ २,३, सात धा का तीया मम से सम तक-- यहां एक बात और ध्यान देने की है कि सब में 'कत धा कतान धा' का ही तीया है। यह बोल जब सात धा के साथ मिलता है तो मम से सम तक पूरा आता है । देखिये:- X कतधा- कता-न ७कत धा-कता ६.४, कतधा- । कता-न १,२, ३,४, . कतान धा -- इस प्रकार हर बार डेढ़ मात्रा कम करके एक-एक धा बढ़ाते हुए चाहे जितने तीये बना डालिये । ध्यान रहे कि इन मारे तीयों का मुखड़ा कतधा का ही है। एक तीये से अलेक तीये कैसे बनायें-- यदि आप नवीन-नवीन मेल बनाने का अभ्यास करेंगे तो हम निश्चय पूर्वक कह सकते हैं कि आप कम से कम बीस-पच्चीस मिनट तक श्रोताओं को हर बार नया-नया तोया सुनाते रहेंगे। यह मेरा अनुभव है कि छः और सात धा के तीये के इतने अधिक रूप बनते हैं कि उन्हें लिखना भी असंभव है । उदाहरण के लिये छः धा के तीये में यदि आप किसी धा में दिड़ और किसी में दा बजादें तो और भी सुन्दर रूप बन सकेंगे। जैसे मालकोंस में निनि मां को तीन बार कह देने से एक रूप बनेगा । धंध निनि मां को दो बार कह देने से भी छः था का ही रूप होगा। अब इसी आधार से छः धा के जो जो रूप आप बना सकेंगे, उनके कुछ नमूने देखिये । धुधु निनि सां धुध निनि सां; निनि सां निनि सां निनि सां । अब केवल स्वर लिखते हैं । उन पर जो भी दिड दा बजाना चाहें आप स्वयं रच लीजिये । तो कुछ रूप यह भी होंगे । जैसे, म ध नि सां नि सां; नि सां म ध नि सां; मधु नि