पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१४१

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१२० सितार मालिका ध नि सां; नि सां सां ध नि सां; ध नि म ध नि सां; नि ध म ध नि सां; ध नि सां सां नि सां; सा ग म ध नि सां; ध नि सां ध नि सां; नि सां नि सां नि सां; आदि । इस प्रकार आप देखेंगे कि एक ही तीये के स्वरों को बदल देने से आपने सरलता से ही आठ-दस प्रकार बना डाले। इन सब में इस बात का ध्यान रखा गया है कि अन्तिम धा (अर्थात् सम) से पहिले नि स्वर ही आये, वैसे यह आवश्यक नहीं है । जब आप इस प्रकार स्वर बजायें तो दिमाग में १, २, ३, ४, ५, ६ ही बोलिये। अन्यथा गलत होने का पूरा डर है। चूंकि छः या सात धा के तीये से पहिले बहुत कम या बिल्कुल बोल हैं ही नहीं और एक दम तीया शुरू होता है, इसलिये वह उत्तम रहेगा कि इन तीयों को बजाने से पूर्व १, २, ३, ४ आदि की गिनती बोलते हुए, सोलह मात्रा तक कुछ भी स्वर पूरे कर लीजिये । फिर ज्यों ही सम आये तुरन्त कतकल कतकत जोड़कर छः धा वाला तीया शुरू कर दीजिये। इस प्रकार यह आपकी दो आवृत्ति की ऐसी तान होगी जो छःधा के तीये से समाप्त होगी। सात धा के तीये को बजाने से पहिले तो अवश्य ही सोलह मात्राएँ बजानी होंगी तभी यह तीया सुन्दर लगेगा अन्यथा नहीं । इप्स तीये को बजाने से पूर्व जो भी सोलह मात्राएँ आप बजायें उनकी चाल तीये के समान ही होनी चाहिये। कहीं ऐसा न हो कि आपकी तान की चाल कुछ और हो और तीया दूसरी चाल का प्रतीत हो। ऐसा होने पर सुन्दरता कम हो जायगी। जब इस प्रकार सोलह तक गिनती गिनते हुए. एक आवृति पर तानें बजाने का अभ्यास कर लें तब कोई भी बोल सम से सम तक तीये सहित बजाकर गति में मिल जाइथे । प्रत्येक मात्रा पर पैर से ताल देने के अभ्यास को मत भूलिये। वह सदैव जो कुछ भी आप बजाये, चलता ही रहना चाहिये । ऐसा अभ्यास करने का प्रयत्न करिये। अब कुछ सरल से बोल सम से सम तक के देखिये। यह सोलह मात्रा की तान बजाकर ही सम से बजाने पर अच्छे मालूम होंगे । सम से सम तक के तीये-- आप 'तिटकत गदिगिन धा, कत धा, कत धा, कत धा' को बिना रुके हुए तीन बार कह डालिये । ध्यान रखिये कुल चार धा हैं । एक गदिगिन के बाद और तीन कत के बाद । इसका ताल बद्ध स्वरूप यह होगा:- X २ तिटकत गदिगिन धा,कत धा,कत धा,कत धाःतिट कतगदि गिनधा o कतधा, कतधा, कतधा; तिटकत गदिगिन धा,कत धा,कत धा,कत धा X