पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१४२

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पन्द्रहवां अध्याय १२१ अब आप इस 'कत धा' को भिन्न-भिन्न स्वरों से अनेक सुन्दर रूप दे सकते हैं। जैसे राग मालकोंस में ही एक रूप देखियेः- तिटकत गदिगिन धा.कत धा,कत धाकत धा साग मागम ध, मधु नि धनि सां इने इच्छानुसार बदल-बदल कर बजाते रहिये । अब एक दूसरा तीया देखिये। यह धातिरकिटतक धात्रा गेए न्तधा अाकत धा को तीन बार बजाने से पूरा पायेगा । जैसे:- X धा- धातिरकिटतक दादिरदिरदिर गे- तधा -कत धा,धातिर किटतकधा -गेन् कतधा, धातिरकिटतक घा- गे-न् तधा -कत धा X सम से सम तक के तीये वनाना- यदि आपने ध्यान दिया हो तो यह तीये साढ़े पांच मात्रा के बोलों को बिना रुके हुए तीन बार बजा देने से स्वयं बन जाते हैं । आप चाहे जो बोल साढ़े पांच मात्रा में इस प्रकार रच डालिये कि अन्त में धा आये। बस, उसे तीन बार बजा देने से आपका सम से सम तक का तीन ताल का तीया बन जायेगा । उदाहरण के लिये कुछ तीये इसी आधार पर बनाये जारहे हैं। जैसेः-१ कत्तिट तिटतिट कतिट,क तिटकत गहिगिन धा 8 ३ ३ इसे बजाते समय धा पर आधी मात्रा ठहरना है । दूसरे शब्दों में इसे वेदम का तीया कहेंगे। यह तालबद्ध इस प्रकार होगा :-- २ X कत्तिट तिटतिट कतिटक तिट,कत | गदिगिन धा,कन् तिटतिट तिटकति ३ ट,कतिट, कतगदि गिनधा, कत्तिट तिटत्तिट कतिट,क तिटकति गदिगन 1 धा । पहिली ५३ मात्राओं के नीचे हमन रेखा खींच दी है। इसे दो और तीन धा का भी बनाया जा सकता है । परन्तु प्रत्येक अवस्था में रहेंगी साढ़े पांच मात्रा ही । जैसे:-