पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१४८

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सोलहवां अध्याय १२७ हो जायें और आपकी मिजराब का वजन ( चाल ) वैसा ही रहे जैसा कि तबले के बोलों का है। . तीया नं०८ कभी-कभी तबला वादक ऐसे टुकड़े लगा हैं जिनमें दो बोल समान होते हैं। यदि हाथ तैयार है तो आप ऐसे ही एक दो टुकड़ा याद कर लीजिये ताकि उसके जवाब में श्राप भी तुरन्त बजा सकें। यहां आपकी मिजराब दो-दो बोलों पर सामान रूप से प्रहार करेंगी। देखिये, नीचे के टुकड़े में प्रत्येक बोल दो-दो बार आया है। २ धिनविड़ान धिनधिड़ान, विधिनकतिन धिधिनकतिन, ! धात्रकधिकिट धात्रकधिकिट, 2 धिनकतीन धिनकतीन, : नगतिनक नगतिन्नक, तगिन्नकिट तगिन्नकिट, ३ धाधाधिन धाधाधिन्', तिरकिटतकताकिटतक तिरकिटतकताकिटतक धा जिस प्रकार के यह बोल हैं, उसी प्रकार कभी-कभी ऐसे टुकड़े भी सुनाई देते हैं जिनमें एक-एक बोल तीन-तीन बार बजाया जाता है। यदि तबला वादक अापके साथ संगत करने में ऐसा बोल बजादें तो आप भी जवाब में तुरन्त वैसा ही सुना दीजिये। इस बात का ध्यान रखिये कि प्रत्येक मात्रा परस्पर बदलती रहनी चाहिये । साथ-साथ यह भी ध्यान रहे कि सुनने वाले यह न समझ जायें कि आप तबला बजा रहे हैं। जब आप इन बोलों को अपने मन में बोलते रहेंगे तो मिजराब स्वयं वैसी ही चलती रहेगी। यह बोल सम से प्रारम्भ करके दो बार बजकर सम पर आयेगा । यदि आप लय को साध सकें तो इसकी आधी लय करके एक श्रावृत्ति में भी पूरा कर सकते हैं। देखिये:- तीया नं०६ २ तितितिं । तकतकतक धाधाधा दिदिदि नानाना तिरकिटतकधिरकिटतक तिरकिटतकधिरकिटतक तिकिटतकधिरकिटतक धाधाधा दिदिदि नानाना तितिति ३ तकतकतक तिरकिटतकधिरकिटतक तिरकिटतकधिरकिटतक तिरकिटतकधिरकिटतक धा X