पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१५०

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सोलहवां अध्याय १२६ ३ थ-यूं तीधादिगदिग थेई,तक थं-धु- तीधादिगद्विग थेई,तक थं-धं- तोधादिगदिग थेई तीया नं०१२ • अब नाच का एक टुकड़ा और देखिये, इसमें अन्त की चार मात्राओं में लय एकदम सात गुनी हो जाती है जो अत्यन्त सुन्दर लगती है:- X २ धातकथु गा-धग दींगता- धाधिता- धित्ताकिड़ान तक्काथुगा तकिटतका किटत कगदिगिन o ३ ता-थेई तत्थेई आ-थेई तत्थेई बामथेईथेईथे ईथेई,त्रामथेई थेईथेईथेईत्रा मथेईथेईथेई थेई तीया नं. १३ इसी प्रकार का और टुकड़ा 'धिटकतान' के आधार से देखिये। धिटकतान सितार में दिडदड़ाड़ के समान बजेगा। देखियेः-- विधिघिटधिट घिटकता ऽन,धिट घिटकता ऽन,धिट कताऽन, धिटकता ऽन,घिट कताऽन, ३ धिटधिट धिटकता | ऽन,धिट धिटकता, ऽन,धिट कताऽन X धा चिटचिट २ धिटकता ऽन,धिट चिटकता ऽन,धिट कताऽन ० ३ धा- X धा S, चिटचिट धिटकता ऽन,धिट धिटकता ऽन,धिट कताऽन इसे कंठ करने के लिये यदि आप कॉमा के चिन्ह के आधार से चलेंगे तो बहुत सुविधा हो जायेगी। इस प्रकार हम अनेक ऐसे टुकड़े आपकी सेवा में भेंट कर सकते हैं। परन्तु अव और अधिक न देकर आप पर ही छोड़ देते हैं। जब आप इन टुकड़ों को भली प्रकार बजाने लगे और जब भी किसी विद्वान से अपने मतलब का टुकड़ा सुनें तो उनसे प्रार्थना करके ले लें।