पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१३४ सितार मालिका तगि-न्न धा; धाधाधा धाधिता कतक धिकिट धाकड़ धा-नधा धिंधि ६ ११ किटतकतकिड़ १२ १३ धा-धिंधिं धा-धिरधिर किटतकतकिड़ धा-विधि धा;धिरधिर २१ २२ २३ धा-धिरधिर १६ किटतकतकिड़ २० धा-धिधि धा २४ २५ यह तीन बार बजेगा। कमाली चक्रदार बनाना- कमाली चक्रदार की विशेषता यह है कि उसमें तीन, चार, पांच अथवा और भी अधिक आवृत्तियों के टुकड़े इस प्रकार बजाये जाते हैं कि बोलों की पहिली आवृत्ति में पहिले मुखड़े के पहिले धा पर, दूसरे चक्र में दूसरे मुखड़े के दूसरे धा पर और तीसरे चक्र में तीसरे मुखड़े के तीसरे धा पर सम आता है । इन चक्रदारों में कभी-कभी बीच-बीच में दम भी लेना पड़ता है। उदाहरण के लिये तीन धा की एक कमाली चक्रदार देखिये। इसे चक्रदार नं०१ के ही बोलों पर बना रहे हैं। इसे बनाने के लिये दस मात्रा का बोल लेकर, ६ मात्रा का मुखड़ा मिलायेंगे और अन्त में लीन धा जोड़ देंगे । देखिये (नं०५) तीन था की कमाली चक्रदार- २ तिरकिट | धिट धा धाधा धा धातु ऽन्ना किड़नग तिरकिट ३ तिरकिट धिट तकता धागे नधा तिरकिट x धा धा धा, तकता तिरकिट धिट धागे नधा O तिरकिट ३ तकता धा धा धा तिरकिट धिट धागे x नधा तिरकिट २ धा, धा धा धा O धाधा ३ तिरकिट धिट धा धातु उन्ना किड़नग तिरकिट