पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सोलहवाँ अध्याय १३५ २ X तकता तिरकिट धिट धागे नधा तिरकिट धा धा o ३ धा, तकता तिरकिट घिट | धागे चधा तिरकिट घा X धा (4"] ( २ धा, तकता तिरकिट धिट तिरकिट धागे जधा O घा धा, धा 'दम' धिट धा तिरकिट धाधा X घिट धा तिरकिट ऽन्ना | किड़नग तकता धातु तिरकिट धिट धागे ३ तिरकिट धा नधा धा धा, तकता x तिरकिट धिट धागे धा धा | तिरकिट नधा O ३ X धा तकता तिरकिट धिट तिरकिट धागे नक्षा धा धा -- देखा ? याद करने के लिये आपने केवल सोलह माराएँ याद की। परन्तु बजाते समय उन्हीं सोलह की फरमाइशी चक्रदार बजाई तो पांच आवृत्तियों में बजी । जब उन्हीं सोलह से तीन धा की कमाली चक्रदार बनाई तो सात आवृत्तियों में श्राई। इसप्रकार केवल एक सोलह मात्रा के टुकड़े से ही आप बारह आवृत्तियों का काम कर गये। चार धा की कमाली चक्रदार- यदि इच्छा हो तो इसी टुकड़े की चार धा की भी कमाली चक्रदार बना सकते हैं। इसे बजाने के लिये चौदह मात्रा का बोल+२ मात्रा का मुखड़ा+धा धा धा धा+३मात्रा का दम लेकर पूरी करेंगे । चूकि यह चार धा की कमाली चक्रदार है अतः इसमें मुखड़ा+ धा धा धा धा को चार बार बजाना पड़ेगा। इस प्रकार मुखड़े और धा सहित छः मात्राएं चार बार बजाने पर चौबीस मात्राएँ होंगी। इन चौबीस से पहिले चौदह मात्राओं का बोल होगा और अन्त में तीन मात्राओं का दम । इस प्रकार एक आवृत्ति में कुल मिलकर ४१ मात्राएँ होंगी। यह इकतालीस मात्राएँ चार बार बजेगा। चूकि सबसे अन्त का धा सम पर आयेगा, इसलिये चौथे चक्र के बाद तीन मात्रा के दम को आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रकार यह कुल मिलकर १६१ मात्राएँ होंगी। जिसमें १६१ वी पर