पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१५७

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१३६ सितार मालिका सम होगा (१६४ १०=१६०+१ सम ) इस प्रकार आप एक सोलह मात्रा के टुकड़े को याद करके ४ धा की कमाली के द्वारा उसे दस आवृत्तियों में घुमा सकते हैं। इस चक्रहार का संक्षिप्त रूप यह होगाः-- १४ मात्रा का बोल+२ मात्रा का मुखड़ा+धा धा धा धा+मुखड़ा +धा धा धा धा+मुखड़ा+धा धा धा धा+मुखड़ा+धा धा धा धा+३ मात्रा का दम, यह एक चक्र हुअा। इसे और भी संक्षेप में इस प्रकार समझियेः- [चौदह मात्रा का बोल+(२ मात्रा का मुखड़ा+धा धा धा धा )x४+३ मात्रा का दम ]x४। इस चक्रदार प्रथम चक्र में प्रथम मुखड़े के प्रथम धा पर, द्वितीय चक्र में, द्वितीय मुखड़े के दूसरे था पर, तृतीय चक्र में तीसरे मुखड़े के तीसरे धा पर, और चतुर्थ चक्र में चतुर्थ मुखड़े के चतुर्थ धा पर सम होगा । इसे हम लिखकर दिखाते हैं। श्राप इसे बहुत लम्बी चक्रदार समझ कर घबरा कर छोड़ मत दीजिये। ध्यान रखिये कि इसमें वही आप की सोलह मात्राएँ हैं जो चक्रदार नं० १ की हैं। उसके अतिरिक्त इसमें अन्य बोल एक भी नहीं है। देखिये, चार धा की कमाली चक्रदार की रचनाः- (नं०६) धा धाधा २ तिरकिट धिट L- धा धातु ऽन्ना किड़नग तिरकिट ३ तिरकिट धिट तकता धागे नधा तिरकिट La २ X धा धा धा था नया तिरकिट धा धा o ३ तिरकिट धा धा धा, नधा धा धा धा x नधा तिकिट २ धा धा a धा धा; २ o ३, चिट ३ धाधा तिरकिट घिट धातु ऽन्ना किड़नग तिरकिट तकता तिरकिट धिट धागे नधा