पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१६४

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सत्रहवां अध्याय १४३ ३ सासा नि धुध सा रे ग रे नि नि रेरे ध नि रे सा -, सम छिपाने वाली गतियों में नाद को सम वाले स्वर के बजाय अन्य स्वरों पर बड़ा कर देने से ही यह क्रिया सरल हो जाती है। राग खमाज में एक और उदाहरण देखिये। इसमें दसवीं मात्रा पर नाद बड़ा कर रहे हैं: सा रेरे सा गरे ग - पप धध प मम ग t. इस प्रकार आप चाहें जितनी गतियाँ तैयार कर सकते हैं। परन्तु इन गतों में अड़चन और परेशानी के सिवाय कुछ हाथ नहीं आता । अस्तु, कुछ विद्वान किसी गीत की छंद रचना पर भी मिजराबों के सुन्दर-सुन्दर बोल बांध कर गतों का निर्माण कर लेते हैं। बारह स्वरों का एक साथ साधन- चूंकि सितार में पूरे बारह स्वरों के परदे नहीं होते अतः ऐसे राग बजाने से जिनमें कि पूरे बारह स्वर प्रयुक्त होते हैं प्रत्येक स्वर को मींड द्वारा बजाने का अभ्यास हो जाता है। इस प्रकार के राग पोलू , बारह स्वरों की भैरवी, लक्ष्मी तोड़ी,तोड़ी खट और बसंत-बहार आदि हैं । इस पुस्तक में बसंत-बहार की गति एवं अलाप दिया गया है जिसमें सभी स्वरों का उपयोग किया गया है । इस गति की आरोही में बसंत और अवरोही में बिहार है। आपकी इच्छा हो तो अारोही में बहार और अवरोही में वसंत भी कर सकते हैं। ऐसे रागों का अभ्यास करने से प्रत्येक स्वर की मींड़-गमक के लिये हाथ भली प्रकार सध जाता है। बारह स्वरों की भैरवी- अब हम आपके अभ्यास के लिये बारह स्वरों की भैरवी की एक सरगम दे रहे हैं। इसका गाना-बजाना कठिन है । अतः यदि आप इसे सफलता पूर्वक तुरन्त न भी बजा सकें तो घबराइये नहीं । क्रमशः अभ्यास हो जाने पर ठीक प्रकार से बजा सकेंगे। यह गति पांच आवृत्तियों में है। देखिये:- स्थाई- २ ३ सां नि ध नि ध प प प म म रे रे सा सां नि ध निध प प प प | ग प