पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१७२

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अठारहवाँ अध्याय दूसरी बार दो, तीसरी बार तीन और चौथी बार सब पर समान समय दिया गया है । जब विद्यार्थी सब गिनतियों पर समान समय लगाना चाहता है तो ऐसा न होकर कोई अन्य गिनती बढ़ जाती है। यदि वह इस ओर ध्यान न दे तो अपनी इस गलत क्रिया को ही शुद्ध तिगुन मानने लगता है। इसलिये जब आप यह क्रिया करें तो इस बात की ओर पूरा ध्यान रखें कि सब पर समान समय लग रहा है या नहीं। यदि कोई गिनती घट-बढ़ रही है तो उसे समान करने का प्रयत्न और अभ्यास करना चाहिये। कुाड़ी लय बजाने की सरल युक्ति- इन लयों के अतिरिक्त तीन अन्य लय और मुख्य हैं। इन्हें क्रम से कुआड़ी, बाड़ी और विभाड़ी कहते हैं। जब चार मात्राओं में पांच बजाई जाती हैं तो उस लय को सवाई या कुआड़ी लय कहते हैं। इसका अभ्यास करने के लिये कुछ सतर्क रहना पड़ता है। जब आप सवाई लय का अभ्यास करना चाहें तो एक मात्रा में ही चौगुन और पचगुन का अभ्यास पक्का करिये। इस प्रकार जब आप चार तक गिनती गिनेंगे तो वह आपकी तीन ताल की मूल लय होगी और ज्यों ही पांच तक गिनती गिनेंगे वही आपकी कुआड़ी लय होगी। इसे सितार में बजाने के लिये थोड़ा अभ्यास अवश्य करना पड़ेगा। इसके लिये आप किसी तबला-बादक को साथ में बिठा कर, उनसे कहिये कि मध्यलय में वह धा धिं धिं धा अर्थात तीन ताल का ठेका शुरू करदें। आप उनके धा धिं धिं धा के पहिले धा पर ताल लगाना शुरू कर दीजिये। जब आपकी ताल ठीक जम जाये तो तबले की ओर से अपना ध्यान बिल्कुल हटा दीजिये। अब केवल उनके पहिले धा पर आपकी ताल पड़ती रहे, बस इतना ही ध्यान रखिये। इतना हो जाने पर अपनी ताल को एक मात्रा समझिये और जिस प्रकार आपने अब तक एक मात्रा में पांच का अभ्यास किया है, उसी प्रकार इसमें भी पांच तक की गिनतियाँ बोल दीजिये। बस, आपकी सबाई लय हो गई। मिजराब लगाते समय मनमें १, २, ३, ४, ५; बोलिये। इस बात का सदैव ध्यान रखिये कि आपकी १ और उनके "धा धिं धिं धा" का पहिला धा साथ-साथ ही पड़ने चाहिये। इस प्रकार १, २, ३, ४,५ तक को चार बार बजा लेने पर आपकी सोलह मात्राऐं पूरी हो जायेंगी। अभ्यास सध जाने पर इस क्रिया को सफलता पूर्वक कर सकेंगे। आड़ी लय बजाने की युक्ति-- जिस प्रकार धा धिं धिं धा की चार मात्राओं को एक मानकर उसमें पांच मात्राएँ बजादी थीं, यदि इसी प्रकार आप बजाय पांच के छः मिजराबें मारने लगें तो यही तबले की चार-मात्राओं में आपकी छः बज जाने पर आड़ी या ड्योढ़ी लय बन जायगी। इसे भी चार बार बजा लेने पर श्रापकी सोलह मात्रायें पूरी हो जायेंगी। बिआड़ी -लय बजाने की युक्ति- जिस प्रकार तबला-वादक की चार मात्राओं को एक माना था, और उस एक में आपने ५ बजाकर कुआड़ी तथा ६ बजा कर आड़ी की थी, ठीक उसी प्रकार अब आप