पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१७३

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१५२ सितार मालिका ७ गिनतियां बजा डालिये। यही आपकी पौने दो गुनी या बियाड़ी लय कहायेगी। इसे भी चार बार बजा देने से तीन ताल को एक आवृत्ति पूरी हो जायेगी। पौनी लय- ५, उससे जिस प्रकार आपने ४ ५, या ४ में ६, या ४ में ७ बजाईं, उसी प्रकार यदि आप चार मात्राओं को एक मात्रा मान कर उसमें तीन बजादें तो इसे ही पौनी-लय कहेंगे। जैसा कि आपको एक मात्रा में ३, ५, ६ और ७ मात्राऐं बजाने का अभ्यास बताया गया था, उसी प्रकार अब यहां भी पहिली चार में ३, उससे अगली ४ में अगली ४ में ६ और अन्त की ४ में ७ मात्राएँ बजाइये । महा कुआड़ी, महा आड़ी और महा विाड़ी लयों को बजाना-- जब कुआड़ी-बाड़ी और बिआड़ी लय की दून कर देते हैं तो उन्हें महा-कुआड़ी, महा-आड़ी और महा-विश्राड़ी लय कहते हैं। यह विलंबित लय में अच्छी बज सकती हैं। आप तबला वादक से धा धिं धिं धा विलम्बित लय में बजाने के लिये कहकर, उसके पहिले धा पर ताल देते रहिये। तबले का ध्यान हटाकर अपनी ताल को एक मात्रा समझिये। अब इस एक मात्रा में दस तक गिनती बोल जाइये। ज्यों ही तबले वादक का धा धिं धिं धा बजाने के बाद पुनः धा आये, उधर आपको भी दस तक गिनती गिनने के बाद एक की गिनती आ जानी चाहिये । इसी प्रकार चार मात्रा में दस बजा देने को महा कुआड़ी लय कहते हैं। महा आड़ी लय बजाना-- इसी प्रकार जब आप अपनी एक मात्रा में (या तबले वाले की चार मात्राओं में) बारह मिजराब लगादें तो वही आपकी महा आड़ी लय कहायेगी। महा विाड़ी लय बजाना- जब एक मात्रा (तबला वादक की चार मात्राओं ) में चौदह मिजराब लगादें तो वही महा विाड़ी लय कहायेगी। तीन ताल में झपताल बजाना- जब आप तबला वादक की चार मात्राओं में अपनी दस मात्राएं बजायेंगे तो आपको अनुभव होगा कि तबला वादक की दो मात्राओं में आपकी पांच मात्राऐं आयेंगी। जब छठी मात्रा प्रारम्भ होगी तो तबला वादक की तीसरी। या जब तबला वादक की चौथी मात्रा समाप्त होगी तो आपकी दसवीं। दूसरे शब्दों में इस प्रकार समझिये कि अपनी लय को आप इतनी गिरा दीजिये कि जितनी देर में तबला वादक धा धिं धिं धा धा धिं धिं धा अर्थात् आठ मात्राऐं बजाये, उतनी देर में आपकी केवल एक मात्रा ही चले। बस उसे तो आठ बजाने दीजिये और आप अपनी इस एक मात्रा में पांच- पांच गिनिये। जब तक आप दो बार पांच-पांच गिनेंगे, उतनी ही देर में तबला वादक