पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१७४

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अठारहवां अध्याय १५३ सोलह मात्राएँ बजा जायेगा । यही “तीन ताल में झपताल" बजना कहायेगी। यदि आप अपनी पांच की लय पर स्थिर रह सकेंगे तो इसी तीन ताल में झपताल के दस मात्रा वाले टुकड़े भी ठीक ही आयेंगे। तीन ताल में एक ताल बजाना- , जिस प्रकार आपने तबला वादक की आठ मात्राओं को एक मानकर उसमें पांच मात्राएँ बजाई थीं, अबकी बार, उतने ही काल में छः बजा दीजिये। बस, जब उसकी आठ-आठ दो बार बजेंगी या आपकी केवल दो ही मात्राएँ पूरी होंगी, उतनी ही देर में आपकी बारह मिजराबें पड़ेंगी। इसे ही "तीन ताल में एक ताल" बजाना कहते हैं। तीन ताल में चौदह मात्राएँ बजाना--- जिस प्रकार आपने अब तक दो मात्राओं में (तबला वादक की १६ मात्राओं में) दस या बारह मिजराबें बजाई, उसी प्रकार अब इस बार बजाय बारह के अपनी एक-एक मात्रा में सात-सात या दो में चौदह बजा डालिये । बस, यही सोलह में चौदह या "तीनताल में दीपचन्दी" कहायेगी। तीन ताल में पन्द्रह, अठारह या इक्कीस मात्राएँ बजाने की युक्ति-- इस प्रकार जब आपको १६ में १०, १२ और १४ मात्राएँ बजाने का अभ्यास हो जाय और साथ-साथ ड्योढ़ी का अभ्यास भी अच्छा हो जाय, तो जो लय आपकी सोलह में दस बजाते समय एक-एक मात्रा की है अर्थात् आपकी एक ( तबला वादक की आठ) मात्रा में पांच बजाने की जो लय आई है उसे ध्यान में रख कर, उस एक-एक मात्रा की ड्योढी कर डालिये। आप देखेंगे कि सही आने पर यही १६ में १५ होंगी। इसी प्रकार बारह मात्रा में एक-एक मात्रा वाली लय की आड़ी करने पर सोलह में अठारह और १४ मात्रा में एक-एक मात्रा की आड़ी करने पर सोलह में इक्कीस मात्राएँ होंगी। यह सारी बातें सुनने में बड़ी विचित्र और कठिन प्रतीत होती हैं, परन्तु लगातार तीन-चार मास के अभ्यास से सरल बन जाती हैं। तीन ताल के अतिरिक्त अन्य तालों में तीये बजाने की युक्ति- प्रत्येक ताल में तानें और तीयों को बजाने का प्रयत्न करने से पहिले तेरहवें अध्याय में दुगुन और चौगुन की तानें बजाने का जो क्रम बताया गया है, उस पर अभ्यास होना आवश्यक है । अब मानलो कि आप आड़े चार ताल में गति बजाना चाहते हैं तो तानें बजाते समय आप चौदह तक गिनती गिनते हुए चाहे जो बजाकर सम पर आ जाइये । यही आपके तोड़े हुए । तीये बजाने के लिये आप जिस चाल का भी