पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सितार मालिका जुगलबन्दी सहज कार्य नहीं है उसकी शिक्षा आवश्यक है; किन्तु अधिकांश बातें उसमें ऐसी होती हैं जिन्हें लिखकर नहीं समझाया जा सकता अतः योग्य गुरु का निर्देशन आवश्यक है । जो बातें लिखी जा सकती हैं, वे इस प्रकार हैं:- (अ) जुगलबन्दी के लिए मित्र कलाकार अथवा एक ही धराने के शिष्य बैठे तो उत्तम है। (ब) प्रारम्भ कोई भी कलाकार कर सकता है। दूसरे कलाकार को उसके साथ ही चलना चाहिये अर्थात् प्रथम कलाकार धैवत से षड्ज तक का पालाप करता है तो दूसरे कलाकार को कुछ देर तक षड्ज से आगे नहीं जाना चाहिए, जब तक कि धैवत से षड्ज तक के श्रालाप की सामिग्री उसके पास बिल्कुल समाप्त न हो जाय । ठीक इसी प्रकार तानों में भी सीमा का ध्यान रखना चाहिए, ऐसा न कि प्रथम कलाकार एक आवृत्ति की तान पेश करे तो दूसरा चार आवृत्ति की। ऐसा करने से कार्यक्रम का सारा सौन्दर्य किसी भी क्षण नष्ट हो सकता है। हां, थोड़ा कम या अधिक होने से कोई अन्तर नहीं पड़ेगा। इसी प्रकार प्रत्येक अंग का ध्यान रखकर वादन करना चाहिए। सा सा S (स) प्रथम कलाकार अपने पालाप की शृङ्खला को कहाँ और कब समाप्त करेगा, यह बात दूसरे कलाकार को चिन्ता में डाल देती है अतः वह उसकी ओर ताकता रहता है कि कब वह अपना आलाप समाप्त करके उसे प्रारम्भ करने का इशारा दे। इसके लिए एक विशेष नियम होता है कि आलाप की समाप्ति पर कलाकार को षड्ज पर पाकर विश्रान्ति लेनी चाहिये अतः वहां नि नि साऽ, रे सा 5 दा दा राऽ, दा दा यह आलाप का सम देना चाहिये ताकि दूसरा कलाकार पहचानले कि अब उसकी बारी है। (द) जिस समय पहला कलाकार वादन कर रहा हो उस समय दूसरे को बिल्कुल चुप रहना चाहिये और अपने नम्बर की प्रतीक्षा करनी चाहिये । द्रुतलय में झाला पहुंचने पर एक कलाकार यदि कुछ प्रदर्शित कर रहा हो तो दूसरे को चाहिये कि वह केवल षड्ज पर उँगली रखकर सीधा-सीधा झाला बजाता रहे। अति द्रुतलय में जब अन्य स्वरों का काम कम रह जाय तो दोनों कलाकार साथ-साथ झाला बजा सकते हैं और साथ ही साथ तिहाई लेकर कार्यक्रम समाप्त कर सकते हैं। मुख्य बात यही है कि जुगलबन्दी में कलाकार को अपने श्रावेश पर बार-बार ध्यान देकर नियंत्रण रखना चाहिये। १८-कोई-कोई नवसिखिये वादक अपना कार्यक्रम प्रारम्भ करने के बाद आवेश में अथवा सामने बैठे हुए बड़े-बड़े कलाकारों के प्रभाव में आकर अपनी सब चक्रदार तिहाइयाँ और लम्बी-लम्बी तानों को एक साथ ही, एक के बाद एक क्रमशः बजा जाते हैं जो कि १०-५ मिनिट में ही समाप्त हो जाती हैं। फिर अन्त में उनके पास बजाने को कोई बढ़िया चीज़ नहीं रहती तब या तो घबराकर प्रोग्राम समाप्त कर देते हैं या