पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२०

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प्रथम अध्याय ५ कम हैं। खींचने पर बढ़ने नहीं चाहिये। दूसरे, तार की गोलाई जितनी उत्तम होगी, ध्वनि भी उतनी ही उत्तम निकलेगी। मेरा अपना अनुभव है कि जो विलायती तार आते हैं, उनकी ध्वनि उत्तम होती है और वह टूटते इसी दृष्टि से यदि आपके तार को बजते हुए बहुत दिन हो गये हैं, अथवा उस पर जंग ( मोर्चा-Rusy ) लग गई है तो उसे बदल देना ही उत्तम होगा। यदि आपको उतम तार मिलने में कठिनाई हो तो बाजार के स्टील ( फौलाद ) के तार से भी काम तो चलाया ही जा सकता है। हां, ध्वनि उतनी मधुर और कर्णप्रिय नहीं होगी, जितनी कि जरमनी या इंगलिश तार की होती है। परदे बांधना- यह भी एक ऐसी समस्या है कि प्रायः ८० प्रतिशत सितारिये परदों को स्वयं भली प्रकार नहीं बांध पाते । प्रायः एक-एक परदे की बंधाई चार-चार आने या पञ्चीस-पच्चीस नये पैसे ली जाती है। अतः सितार वादक को इसे भी जानना आवश्यक है । सितार में प्रायः दो प्रकार के परदे होते हैं। एक वह जिनमें तांत, परदे के ऊपर होकर जाती है और दूसरे वह जिनमें तांत, परदों के किनारों पर ही बँधी रहती है। ऊपर होकर तांत लगने वाले परदों का रिवाज कम से कम हो रहा है और लगभग नष्ट सा ही हो चला है। नये सितारों में तो ऐसे परदे बांधे ही नहीं जाते। हां, पुराने सितारों में यह कभी-कभी दिखाई दे जाते हैं। अस्तु, परदे बांधने की क्रिया दोनों प्रकार की सुन्दरियों में एक जैसी ही है। अन्तर केवल यही है कि एक में तांत को परदे के ऊपर होकर लपेटते हैं और दूसरे में तांत केवल डांड के नीचे की ओर ही रहती है । इन्हें बांधने के लिये, बांये हाथ से परदे को पकड़ कर डांड पर सीधा रखिये ताकि यह गिर न जाये । अब तांत के किनारे को पकड़ कर एक गोला सा बनाइये । इस गोले में सिरे के छोर को नीचे की ओर दाब दीजिये। जैसे चित्र में है:-- गोला किनारा तांत की लम्बी गुच्छी अब इस गोले को बायें हाथ के अंगूठे से दाब कर तांत की गुच्छी से तांत को परदे के कटे हुए स्थान (खंदक) अटका दीजिये। फिर इसी गुच्छी वाली तांत को डांड के नीचे की ओर ले जाकर दूसरी ओर की खंदक में अटका कर फिर पहिली ही ओर लाकर एक बार और अटका दो । अब इसी अटके हुए तांत को दुबारा दूसरी ओर इसी प्रकार फिर अटका कर ले आओ। इस प्रकार आप देखेंगे कि डांड पर तांत के चार लपेटों से परदा ठहर गया। अब तांत को गुच्छी से लगभग चार इञ्च लम्बा काट कर अलग कर लो। इस कटे हुए छोर को उप्त गोले में से निकाल लो जो कि सबसे पहिले बनाया था। अब इस निकाले हुए छोर को खींच लो और गुच्छी से कटे हुए भाग को पकड़े रहो ।