पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२०३

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१७२ सितार मालिका , तानें लेते समय इन्हीं स्वरों को औडव-सम्पूर्ण रखते हुए चाहे जिस प्रकार बजाइये। इस बात का ध्यान रखिये कि यदि गलती से कभी ग स्वर लग जाय तो रे या सा पर लौट आइये। इसी प्रकार यदि नि स्वर लग जाय तो भी ऊपर की ओर न जाकर ध या प की ही ओर लौट आइये। इन्हीं बातों को ध्यान में रख कर निम्न बातों पर ध्यान दीजिये:- १-सारे मप धुप मग रेसा, सारे मप निनि धप मग रेसा, सारे मप सांनि धुप मग रेसा, सारे मप धुसा रें, रेंसां निध पम गरे सासा । २-सारे म,रे मप, मप धप धसां, सारे मम, रेम पप, मप धध, पधु सांसां, सारे रे,रे मम, मप प,प धध, धसां सां,सां रेंरें, सारे मरे, रेम पम, मप धुप, पधु सांसां, सारें गरें सांनि धप मग रेसा। ३-धध प, धुप, धध पम गरे मा, नि नि ध, नि नि ध नि नि ध प म ग रे सा, रे रे सां, रें रें सां, रेंरें सां नि ध प म ग रे सा, गं गं रे, गं गं रें, गं गं रें सां नि ध प म ग रेसा, सा रे म प ध प म प, नि नि ध प, म प धुप, म प धु, म प ध, म प ध प म ग रे सा, प ध नि, प ध नि, प ध नि ध प म ग रे सा, सां रें गं, सां रेंग, सां रें गं रें सां नि ध प म ग रे सा । आदि (३) काफी इस राग में गान्धार-निषाद कोमल तथा शेष शुद्ध स्वर लगते हैं । जाति संपूर्ण- संपूर्ण है। वाढी स्वर पंचम तथा संवादी षड्ज है। इस राग की अवरोही में कभी-कभी केवल वक्र रूप से तीव्र गान्धार और तीव्र निषाद का भी प्रयोग होता है । जैसे, म ग म प गरे, अथवा सां नि सां रें सां नि ध प। पूर्वाङ्ग में अलाप करते समय प्रायः ऋषभ पर और उत्तरांग में पञ्चम पर ठहरते हैं। गायन समय रात्रि का द्वितीय प्रहर माना जाता है। आरोही सा रे ग म प ध नि सां और अवरोही सां नि ध प म गरे सा है। मुख्यांग [-सा रे ग रे, ग म प है। अलाप का स्वरूप निम्न प्रकार है:- सा रे ग रे, रे ग म ग रे, रे ग म प म ग रे, म ध प, म प ग रे, म ग म प म गरे, नि ध प, सां नि ध प, म प ग रे, सा रे ग रे, सा। रे ग म प, म ध प, म प ध नि ध प म प म ध प, सां नि ध प, निसां रें, नि ध प, मप धनि सां, सां नि सां निध प ध नि सां, रे नि ध प, म प ध नि ध प, म प ध म प ग रे, सा रे ग रे, नि सा, रे ग म प । म प नि नि सां, रेंग रें, सां नि ध प, नि ध नि प ध म प, ध म प ग रे, सारे ग, रेग म, गम प, मप ध, पथ नि, धनि सां, रेंग रें, सां रें गं रें सां नि ध प, म प ध म पग रे सा। अब इसी आधार पर तानें बनाने का क्रम भी देखिये। १-सा रे म प म ग रे सा, रे म प ध म प ग रे सा नि, रे म प ध नि नि ध प म प म ग रे सा, सा रे ग म प ध नि सारें रें सां नि ध प म ग रे सा, सां नि सां रें सां नि ध प, म ग म प म ग रे सा, रे- रे, ग - ग, म - म, प । २-५ प म प म ग रे सा, ध ध प ध प म ग म, प प म प म ग रे सा, नि नि ध नि ध ध प ध, प प म प, म म ग म, प प म प म ग रे सा, सां सां नि सां, नि नि ध