पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२१

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६ सितार मालिका इस प्रकार आप देखेंगे कि आपके हाथों में तांत के दो भाग आगये। एक पहिला गोले वाला किनारा और दूसरा काटा हुआ छोर । इन दोनों छोरों में दो गांठ लगा दीजिये । बस आपका परदा डाँध गया। यदि परदा पुराने ढंग का है तो तांत को पहिले डांड के नीचे ले जाकर, परदे में अटका कर, वापिस डांड पर ही लाने के स्थान पर, परदे के ऊपर होकर हो लपेटिये। इस प्रकार चार लपेट पूरे होने पर गांठ लगा दीजिये। मिज़शन बनाना- कभी-कभी ऐमा होता है कि मिज़राब बजाने के समय या तो टूट जाती है और या खो जाती है। ऐसी परिस्थिति में वादक बड़े झंझट में पड़ जाता है। अतः मेरे विचार से वादकों को जवारी खोलने और परदे बांधने के अतिरिक्त मिजराब बनाना भी आना आवश्यक है। तो लीजिये इसे भी सीखिये । जिम तार की मिजराब बनानी हो उसका एक "-" का टुकड़ा काट लीजिये। प्रारम्भ में अभ्यास करने के लिये पहिले पीतल का ही तार लेना चाहिये । क्योंकि पीतल मुलायम धातु होने के कारण सरलता से मुड़ मकेगी। इम प्रकार प्रारंभ में विद्यार्थी को झंझट खड़ा नहीं होगा। छः मात अंगुल लम्बा लोहे का पक्का तार लेकर उसे चित्र नम्बर १ के ममान हिन्दी के अंक ४ की मी शक्ल बनाइये । तत्पश्चात् इस बनाई हुई शक्ल के दोनों मिरों को घुमाकर, चित्र नं २ की तरह तार की गोलाई के अर्द्ध भाग में मिला दीजिये। उन मिले हुए दोनों मिरों को चित्र नं. ३ को तरह, चीमटी से बाली की गूंज के समान लपेट दीजिये । फिर दो डोरे लेकर चित्र नं. ४ के अनुमार बीचों बीच. आमने-मामने बांधकर. दोनों हाथों से अलग-अलग दोनों डोरे खींचिये तो चित्र नं ५ की आकृति बन जायेगी। बम. आपकी मिज़राब तैयार होगई। मिज़राब के दोहरे हिस्से को चित्र नं०६ की तरह तनिक मा खोलकर. दाहिने हाथ की तर्जनो अँगुली में इस प्रकार पहनिये कि मि शराब को एक गंज को गांठ अँगुली तथा नाखून के ऊपर ठीक मध्य में रहे तथा अँगुली के अग्रभाग ( पोमग ) के बीचोंबीच दुमरी गंज की गांठ रहे । नम्बर २ नम्बर १ नम्बर ३ छोर छोर चारको शकल गुंज गूंज लपेटना लपेटेना. नम्बर ४)/ डोस. नम्दर 000 जीडोरा.