पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१६२ सितार मालिका प म ग रे सा, गं गं रें सां नि रेंसां नि ध नि सां नि ध प ग प ध प म गरे सा। ३-सा रे रे, रे ग ग, ग घ प, प ध ध, ध नि नि, नि सां सां, सा रे, रे ग, ग प, पध, ध नि, नि सां, सा रे ग रे, रे ग स ग , म प ध प, प ध नि ध, ध नि सां नि, नि सां रें सां, ध नि सां रें सां नि ध प, ध नि ध प म ग म रे, ग प ध प म गरे सा। २५–देशकार इसमें समस्त शुद्ध स्वर लगते हैं । यह बिलावल अङ्ग का राग है। इसमें मध्यम एवं निषाद वर्जित स्वर हैं। अतः जाति औड़व-औड़व है। ठीक यही स्वर भूपाली राग के भी हैं। परन्तु भूपाली में गान्धार वादी और धैवत सम्वादी है, जबकि इसमें भूपाली का उल्टा अर्थात् धैवत वादी और गान्धार सम्बादी है। इसमें उत्तरांग पर बल रखने से यह तुरन्त स्पष्ट होता है। धैवत और पञ्चम का न्यास राग को व्यक्त करने में सहायता करता है। समय प्रातः काल हैं। आरोह–सा रे ग ध सां और अवरोह–सां ध प ग रे सा है। मुख्यांग-ध प, ग प, ग रे सा है। अलाप- सा रे सा, ध प, ध सा, रे सा, ग रे सा, प, प, गध प, ग प ध, ग ध, प, गप धप, ग रे सा ध, ध ध प, ग प ग रे सा । सा धऽध प, ग प ध सां, ध र सां, ध सा रें सां, ध प ग रे सा ध ध सां, ध सां रें गं, रें सां, गं रें सां, धसां रेंसां ध, पऽप, गप धसां रें, गंऽरें सां, धऽ प ग रे सा, ध सा । प ग ग प ध प, सां धऽप, गप ध, सांध पध सां, रेंसां धसां रें, सारे सांव प, ग ग प ध ऽ. सा धऽ ध प, सां ध प ग रे सा ध रे सा। तानें-- १-सा रे ग प ग रे सा ऽ, सा रे ग प ध प ग रे सा ऽ, सा रे ग प ध सां ध प ग रे सा s, सा रे ग प ध सां रें रें सां ध प प ग रे साऽ, सा रे ग प ध सां रेंग रे सांधप गप धप गरेसा। २-ग ग रे सा, प प ग प ग ग रे सा. ध ध प प ग ग प प ग ग रे सा, सां सां ध प, ध ध प ग, प प ध प ग ग रे सा. रेंरें सां ध, सां सां ध प, ध ध प म, प प गरेग गरे सा, गं गं रें रें सां सां ध ध प प ग ग रे रे सा सा । ३-सा रे रे, रे ग ग, ग प प, प ध ध, ध सां सां, सा रे, रे ग, ग प, प ध, ध सां सारे गरे, रे ग प ग, न प ध प, प ध सांध, ध सां रे सां, गं ग रे सां, रे, रेंरें मां ध सां 5, सा सां ध प ध 5, ध ध प ग प -, ग ग रे सा, रे, रे रे मा ५ सा । २६-देस यह खमाज अङ्ग का राग है । अतः इसमें दोनों निपाद तथा शेष स्वर शुद्ध लगते हैं । आरोह में गान्धार-धैवत वर्जित स्वर हैं । जाति औडव-संपूर्ण है। इसमें ऋषभ स्वर