पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२३

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सितार मालिका लरज का तार- किसी सितार में खरज के तार से भी अधिक मोटा एक पीतल का तार होता है। किसी-किसी सितार में यह बटा हुआ भी होता है । यदि खरज के तार को मन्द्र पञ्चम से मिलायें, तो इसे मन्द्र सप्तक के षड्ज से मिलाते हैं । इसे 'लरज' का तार कहते हैं । चिकारी के तार-- सबसे अन्त में दो पतले फौलाद के तार और होते हैं। इन्हें 'चिकारी' के तार कहा जाता है। तरवें-- इन तारों के अतिरिक्त बड़े-बड़े और उत्तम सितारों में ग्यारह से तेरह तक छोटे- छोटे फौलाद के तार और होते हैं। यह तार बड़ी घोड़ी के नीचे, छोटी घोड़ी के ऊपर लगाये जाते हैं। इन सब तारों को 'तरब' के तार कहते हैं। सितार मिलाने का पुराना ढंग-- तारों का जो क्रम ऊपर वर्णन किया गया है, वह पुराना ढङ्ग है। परन्तु ६५ प्रतिशत सितार आज भी इसी प्रकार मिलाये जाते हैं। इस क्रम में सबसे पहिले जोड़े के तारों को (जो भी स्वर रखना हो.) षड्ज में मिलाते हैं। फिर इसी षड्ज के पञ्चम में 'पञ्चम' के तार को; उसके मन्द्र पंचम में खरज के तार को; और मन्द्र षड्ज में लरज के तार को मिलाते हैं । चिकारियों में प्रथम को मध्य षड्ज में और दूसरी को कोई-कोई मध्य पञ्चम में और कोई-कोई तारषड्ज में मिलाते हैं। सब से अन्त में बाज के तार को मन्द्र मध्यम में मिलाते हैं। समस्त तरबों को खंटियों की ओर से तूंबे की ओर चलने पर क्रम से प ध नि सा रे ग म प ध नि और सां में मिलाते हैं। यदि तरबों की संख्या ग्यारह के स्थान पर तेरह हुई तो इन्हें क्रम से म प ध नि सा रे ग म म प ध नि और सां में मिलाते हैं। इस बात को नहीं भूलना चाहिये कि तरबों के तार, राग में लगने वाले स्वरों के अनुसार कोमल तथा तीत्र स्वरों में ही मिलाये जाते हैं। उदाहरण के लिये यदि आपको यमन बजाना हो, तो तरबों का क्रम पध नि सा रे ग म प ध नि सा होगा। परन्तु भैरवी बजाते समय सितार तो इसी प्रकार मिला रहेगा, किन्तु तरबों का क्रम पध नि सा रे ग म प ध नि सां हो जायेगा। इसी प्रकार प्रत्येक राग में समझना चाहिये। सितार मिलाने का आधुनिक ढङ्ग-- जब सितार वादकोंको वीणाकारों के मध्य सप्तक और मन्द्र सप्तक के काम से टक्कर लेनी पड़ी, तब इस ढङ्ग को अपनाना पड़ा। इसमें सितार के 'बाज', 'चिकारी' और 'तरबों' के तारों को छोड़कर शेष तारों का क्रम भी बदलना पड़ा। अर्थात् जोड़े का तार केवल एक ही रखा और इसे षड्ज में.ही मिलाया। इसके बाद पीतल के पञ्चम के तार को रखा। सब से अन्त में लरज के तार को रखा। इस तार के बाद चिकारियों का नम्बर आया । इस प्रकार मुख्य तार केवल चार ही रह गये, जो 'बाज'; एक जोड़े' का;