पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२३५

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सितार मालिका राग सा म तक समान ही हैं, अतः ऊपर दिये गये आरोहों के आधार पर मध्यम से आगे चाहे जो राग लिया जा सकता है । पालाप- सा म, म प ग म, प ध म प म ग, मं ध नि ध प, नि प म प ग म, म म ग, म ध नि रे नि ध प, म प ग म नि ध नि सां, रे, रे नि सां, नि धु प, म ग म ग रे सा । गम, नि ध, नि सां, रेसां नि धु प, ध म प म ग म ग, म नि ध सां नि ध प, म नि ध- सां नि रे सां नि प, म नि प, ध म, नि ध नि सां, रे नि ध प, म ग म ग रे सा । सा म, म ग, मधु रे सां, नि प, म नि प, प ध म ग म प रे सां, नि प, म प ग म रे, सा, नि सा म, म प ग म, प ध में ग, म ध रे नि सां, गं मं रे सां, नि सां मं, मैं मं में गं, मै गं रें सां, नि ध नि सां, रे नि ध प, नि प म प, ग म रे, नि सा । ताने- १-सा सा म म प म ग म प ध म प म ग म प रे सां नि प म प म ग म ध सां रें नि सां, गं मं रें सां रे नि धु प, म प ग म रे सा नि मा । २-म म म, प प प, ग ग ग, म म म, नि नि नि, धु धु, प प प, मधु रे सां नि प म प, म नि ध नि सा रे नि मां, रेऽरें, नि प म प, गंऽ गं मंरें सां नि सां, नि रे नि ध प म ग म ग म सा नि सा ऽ । ३---मधु नि सां नि प म प, रे नि ध प नि ध नि सां, गं मं रें मां रे नि सां, नि ध नि प मधु रे सां, प म ग म, नि ध प म ग म नि ध सां नि ध प, म म प म ग म, नि नि सां नि ध प. रें रें सां रें नि मां, रे रे सां नि ध प म ग म गरे सा। नोट-ऐसे रागों में रागाङ्ग को ध्यान में रखकर ही ताने ली जाती हैं, अतः द्रुतलय की तानें कठिन पड़ती हैं। ३६---बागेश्री यह एक काफी अंग का राग है । गु नि कोमल तथा शेष स्वर शुद्ध लगते हैं। पञ्चम स्वर के बारे में इसमें मतभेद है। चूंकि यही स्वर काफी राग के भी हैं और सां नि ध प से स्पष्ट रूप से काफ़ी हो जाती है, अतः सां नि ध म पध ग अर्थात् बक्र रूप से पञ्चम लेते हैं। कुछ विद्वान इस झंझट से बचने के लिये पञ्चम को एक दम वर्जित ही कर देते हैं। उनका कहना है कि यदि बागेश्री में कभी पञ्चम पर और कभी मध्यम पर न्यास करते रहें तो वहीं राग बागेश्री-कान्हड़ा बन जायेगा। इन्हीं कारणों से चाहे पञ्चम लगाया जाये और चाहे छोड़ा जाये, उसका प्रयोग अल्प ही होगा। अतः जाति औडव-सम्पूर्ण है अर्थात् आरोह में ऋषभ एवं पञ्चम वर्जित हैं। जो विद्वान केवल पञ्चम को ही वर्जित करते हैं, वह भी आरोही में ऋषभ का प्रयोग बहुत ही अल्प करते हैं। इसलिये औडव-सम्पूर्ण मानना ही उचित है । वादी स्वर मध्यम एवं सम्बादी षड्ज है। आरोहः-सा म, ग म ध नि सां और अवरोहः-सां नि ध म ग, म ग रे सा । मुख्यांग आरोह में ऋषभ वर्जित करके:-ध नि सा, म ध नि ध, म ग रे सा। गाय न समय मध्य रात्रि है।