पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२५२

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इक्कीसवाँ अध्याय २२१ ऋषभ है । गान समय प्रातः काल है। आरोहः-सा रे ग प ध सां अवरोह सांध प गरे सा है। मुख्यांग:- प ध प, ग प ग रे सा है। अलाप- सारे सा, सा रे ग, रे ग, ग प, प ग रे सा, ध प, पधु सा, ध रे सा, रे ग प, ग पध, प, ग ध प, प ध प ग प, रे ग प ग, रे ग प ध प, गरे ग प ध प, ध ग प, ग, प ग रे सा । सा रे ग प ध प, ध ग प ध ग प, प ध ग प, रे ग प, ध सां, ध प, ग प ध प, ग प ध सां, ५ रे सां, ५ प. ध म प ध सां, प ध सा रे गं, रे सां, धुप, गप धु साधु प, ग प ग रे, रे ग प ग रे ग, रे साध सा । प, प ग रे ग, रे ग प ध प, ग प धु प, ध सां, प धु सां, रे सां धु प, ग प ग धु प ध सां, ध रे सां, ध सांध प, ग प धुप, प गरे ग, सा रे ग प ध प ग, रे ग प ग रे सा, ५ सा । ताने- १-सा रे ग प ग रे सा सा, मारे ग प ध प ग प ग रे सा सा, सा रे ग प ध सां ध प ग प ध प ग रे सा सा, सा रे ग प ध सां रे सां ध प ग प ध प गरे सा सा। २--ग गरे साधू सा, प प ग प, ग ग रे साधु सा, ध ध प प ग प ग गरे सा , सा, सां सां ध प ग प ग गरे साधु सा, रे रे सां सां ध प ग प ध प ग गरे साध सा । ३-सा रे रे, रे ग ग, ग प प, प ध ध. धु सां सां, सा रे, रे ग, ग प, पथ, ध सां, सारे ग, रे ग प, ग प ध, प ५ सां, सां रे सांध प प ग प ध प ग रे सा सा। ६१–शुक्ल बिलावल यह बिलावल अङ्ग का राग है । इसमें दोनों निपाद तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयुक्त होते हैं। आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल निषाद लगते हैं । जाति संपूर्ण-संपूर्ण है । परन्तु नट-बिलावल से पृथक करने के लिये ऋषभ को अारोही में अल्प और बहुत ही दुर्बल रखते हैं। वादी मध्यम तथा संवादी षड्ज है । गायन समय प्रातःकाल है। इसमें 'ध म' और 'नि ग' की संगति उत्तम लगती है। आरोहः-सा ग म, प ध नि सां । अवरोह सां नि ध, नि ध प, म ग, म रे सा है। मुख्याङ्गः-सा ग, म, प ध नि ग, म रे, और गायन समय प्रातःकाल है। अलाप- सा ग, रेग म, ग प म. म प ध, ध नि प, ध नि ग, म, रे, सा. नि ध नि सा, ग म, म प, ध प, ध नि ध प, ध म ग प, प ग, म रे सा । सा नि ध, नि धप, प ध नि सा, ग म. सा ग म. प भ, सा ग म प ध म, ग, रेसा, ग म, ग म पध नि, ध नि ध प, पनि गम, ध प, ध म, ग म प म, ग म रे सा । सा, गम, प ध नि सां, ध नि ध म प ध नि सां, नि सां रें सां नि सां, ध नि ध म, प म, ग म प ध नि ग, सा ग म प ध नि ग, म, सा ग म प म, गम रे सा।