पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२५८

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नि सा धक्का नि सा रे नि सा ग रे सा नि म प, म प ध नि ध प ग म ध नि सा नि प म प ध प ग म रे, ग म ध प,ग ग रे ऽ सा। तानें—— १——सा रे ग म प प ग म रे सा,सा रे ग म ध दम पर ग म रे सा, सा रे ग म ध नि ध प म प ग म रे सा, सा रे ग म घर नि ध प म प ग म रे सा। २——ग म रे सा नि प प म प ग म रे सा नि सा, ध ध प ध धूप म प ग म रे सा नि सा साँ रे सा नि ध प म प ग म ध प ग म रे सा नि सा, गं मं रें सां निं सां निं ध म प ग म रे सा नि सा। ३——सा रे ग ग म प ग म ध नि घ ध ध नि सा नि ध प, म प ध नि सा नि ध प ग म ध प ग म रे सा। ६९——हिंडोल यह एक कल्याण अंग का राग है। इसमें ऋषभ-पंचम वर्जित है। जाति औडव-औडव है। समस्त स्वर तीव्र ह। वादी धैवत एवं संवाद गांधार है। निषाद को सोहनी की छाया दूर करने के लिए प्राय:वक्र रखतें हैं। गायन समय उत्तर-रात्री है। औरोह:-सा ग म ध नि ध सा। तथा न अवरोही सा नि ध म ग सा सा ध सा है। मुख्यांग:- ध ऽ में ग सा ध सा है। तानें—— १——सा ग म ग सा ध सा सा सा ग म ध नि म ग सा ध सा सा, सा ग म ध नि ध सा नि ध म ग म सा नि ध म ग म ग सा ध सा सा ग म ध नि ध सा ंन ग म ग सा नि ध म म ग सा ध सा। २——ग म ग सा ध सा, ग म ध म म ग सा ध सा, ग म ध नि एक म ग म ग सा ध सा ग म ध नि सा नि ध म ग सा ध सा, ग म ध नि नि घ ध म ग म ग सा ध सा। ३——सा ग ग ग म म म ध ध नि नि नि सा सा,सा ग ग ग म म ध ध नि नि सा सा ग म ध नि सा नि सा गं सां नि ध म ग,स म नि घ म ध में गिरावट सा सा।