पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/३२

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तृतीय अध्याय 13 समस्त पञ्जा ही आगे-पीछे चलना चाहिए। अतः अभ्यास के समय बार-बार अँगुलियों की ओर देख लीजिये कि वे सटी हुई हैं या नहीं। यदि आपको एक ही अँगुली के चलाने का अभ्यास पड़ गया तो आगे चलकर न तो आपके बोलों में ही दम रहेगा और न द्रुतगति से मिजराब चल सकेगी। अकेली अँगुली जल्दी थक जाती है। (देखिये चित्र नं० ५५ ६) इसी प्रकार बांये हाथ की अँगुलियों को भी फैलने से रोकिये और उन्हें आपस में सटाकर वादन करिये। देखने में भी सटी हुई अँगुलियों वाला हाथ अधिक खूबसूरत मालुम पड़ता है और फैली अँगुली वाला हाथ अनाड़ियों जैसा भद्दा लगता है। और, द्वितीय रहस्य वह है जो उस्ताद लोग या तो स्वयं ही प्रयोग में लाते हैं या केवल उन्हीं शिष्यों को बतलाते हैं जो उन्हें अति प्रिय हों । परन्तु अपने पाठकों के लाभार्थ हम उसे भी स्पष्ट किये देते हैं। आपने यदि इसके अनुसार नित्यप्रति एक घण्टे तक एक मास भी अभ्यास कर लिया तो विश्वास रखिये और स्वयं भी अनुभव कर लीजिये कि जो विद्यार्थी छः मास से बराबर सितार बजा रहे हों, आप उनसे अधिक तैयार हो जायेंगे। हां, तो रहस्य की बात यह है कि आप सीधे हाथ की प्रत्येक चारों अँगुलियों में, दो-दो बिछुए ( जिन्हें उत्तर प्रदेश की स्त्रियां, विवाह हो जाने के उपरांत पैर को अँगुलियों में पहिना करती हैं और जो सुहाग का एक चिन्ह माना जाता है ) पहिन लीजिये । बिछुए पहिनते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखिये कि बिछुए सुन्दर भले ही न हों परन्तु भारी अवश्य हों। जितने अधिक भारी बिछुए पहिनकर आप अभ्यास करेंगे, उतना ही आपका हाथ अधिक और शीघ्र तैयार होगा। प्रारम्भ में आपको एक- दो दिन तो अवश्य कुछ अड़चन प्रतीत होगी, किन्तु बाद में अभ्यास हो जायेगा। ( देखिये चित्र नं०७)। सम्भवतः आप यहां यह जानने को उत्सुक हो जायें कि यह क्रिया इतने महत्व की क्यों है ? बात यह है कि यदि एक मनुष्य दौड़ने का अभ्यास करते समय दोनों हाथों में पांच-पांच सेर की एक-एक ईट लेकर दौड़ा करे और जिस दिन दौड़-प्रतियोगिता हो, उस दिन खाली हाथ दौड़े, तो उसे प्रतियोगिता वाले दिन यह प्रतीत होगा कि वह आज बहुत ही हल्का है। इस प्रकार उसकी गति भी तीव्र हो जायेगी और उसे खाली हाथ दौड़ने में कुछ कष्ट भी नहीं होगा। ठीक यही बात इस रहस्य में भी है। जब आप घर पर बिछुए पहिन कर अभ्यास करेंगे और महफ़िल में बिना बिछुओं के बजायेंगे तो आपका हाथ बिना ही किसी विशेष प्रयास के बड़ा तैयार प्रतीत होगा। वजाने में मिठास कैसे उत्पन्न करें-- सङ्गीत संसार में जिसे लोग मिठास शटदके नाम से कहते हैं उसका अर्थ केवल सफाई से है। आप जो कुछ भी बजाना चाहते हैं यदि वह बिल्कुल स्पष्ट है तो आपके हाथ में मिठास है। उदाहरण के लिये आप बढ़ी हुई लय