पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/४२

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मञ्चम प्रध्याय २१ 'रे' की ध्वनि सुनाई न दे जाये। यह सुनाई तो 'गा' ही देगा, परन्तु बजेगा 'प्रेगा'। जिसमें रे' से 'गा' खींचा जायेगा। इसे और अधिक सुन्दर बनाने के लिये जब आप 'रे' से खींचकर 'गा' पर पहुँच गये, तो सितार का सांस समाप्त होने से पूर्व ही, पुनः विलोम मींड द्वारा 'रे' पर ही वाप्रिप्त आजाइये। अर्थात् बजाने में तो यह 'प्रेगारे' ही होगा, परन्तु मिजराब केवल 'पा' पर ही पड़ेगी। घसीट से 'रे' पर तर्जनी इस प्रकार जायेगी कि 'रे' सुनाई न देकर 'रेगा' की मींड ही सुनाई देगी जो 'पणा' की मींड का भ्रम उत्पन्न करेगी। इसी में, सितार का सांस रहने तक 'गारे' की मोंड भी सुनाई देगी। इस प्रकार श्रोताओं को यह भ्रम उत्पन्न हो जायेगा कि सितारिये ने 'पा गा रे एक ही मिजराब में मींड से बजाये। यह क्रिया किसी भी एक स्वर से किसी भी दूर के दूसरे स्वर तक सफलतापूर्वक की जा सकती है। यदि आप चाहें तो इसे अवरोही में भी प्रयोग में ला सकते हैं। आलाप के समय, जब मध्य-षड्ज से मन्द्र धैवत अथवा पञ्चम पर जाना हो, अथवा मध्य सप्तक के किसी भी स्वर से, किसी भी पिछले स्तर पर जाना हो तो यह क्रिया की जा सकती है। इसी क्रिया को सितारिये 'लाग-डाट' कहते हैं। मीड- सितार में ही नहीं वरन् समस्त भारतीय संगीत में मींड बड़े महत्व की क्रिया है। संगीत में मिठास उत्पन्न करने वाली इस जैसी क्रिया अन्य नहीं है। जब सितारवादक एक उङ्गलो 'सा' पर रखकर मिज़राब लगाते हैं और दूसरी उङ्गली से 'रे' बजाते हैं अर्थात् दोनों स्वरों पर मिजराब लगाते हैं तो इसे 'खड़ा' स्वर बजाना कहते हैं । परन्तु यदि 'सा' पर मिजराब लगाकर, दूसरी अँगुली को 'रे' पर न ले जाकर, उसी 'सा' के परदे पर ही तार को इतना खींचें कि उसी परदे पर 'रे' भी सुनाई देने लगे, तो इसे 'अनुलोम मींड' कहते हैं। अनुलोम मींड-- इसमें पहिले मिजराब लगाई जाती है और फिर तार खींचा जाता है। आप देखेंगे कि ऊपर दिए हुए ढंग से 'सा' से 'रे' पर जाने में ध्वनि खंडित नहीं हुई। इस प्रकार जब मींड आरोही के लिए खींची जाती है, तो उसे अनुलोम मींड कहते हैं। विलोम मींड-- अब यदि आपने 'सा' के परदे पर ही अन्दाज से तार को बिना आघात किए इतना खींच लिया कि रे' स्वर बोलने लगे और फिर खिंचे हुए तार पर मिजराब लगाकर तार को धीरे-धीरे ढीला करते हुए 'सा' के परदे पर आगये, तो यह आपकी 'रे' से 'सा' की मींड हुई। ध्यान रखिये कि आपने मिजराब का प्रहार करने से पूर्व ही तार खींच लिया था। अतः इस प्रकार की मींड को, जबकि तार मिजराब लगने से पूर्व ही खींचा जाये, 'विलोम मॉड' कहते हैं।