पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/४४

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पञ्चम अध्याय २३ की ओर ही उठेगी, परन्तु सचमुच वह 'बाज' के तार को 'रे' के परदे पर, उंगली के मांसल भाग से नीचे को झटका देते हुए हटेगी। इस क्रिया से मध्यमा के उठने से 'सा' स्वर धीमा सुनाई देने लगेगा। इस प्रकार आपको एक ही मिजराब में 'रेसा' सुनाई देंगे। अब 'सा' स्वर की ध्वनि सुनाई देते ही, तर्जनी तुरन्त 'बाज' के तार को दबाये हुए, झटके से 'नि' पर पहुँच जायेगी। इसके 'नि' पर पहुँचते ही तुरन्त हलकी सी ध्वनि नि' की सुनाई देगी। इस प्रकार एक ही मिजराब में रेसानि एकदम बजेंगे। भली प्रकार समझ कर अभ्यास करने से ही यह क्रिया उत्तम रूप से सिद्ध हो सकेगी। गिटकिड़ी- जब एक ही मिजराब में चार खड़े स्वर बज जाये तो उसे गिटकिड़ी कहते हैं। इसे बजाने के लिये ऊपर लिखे प्रकार तीन स्वर बजा कर, तर्जनी तोनिषाद पर ही रहेगी, परन्तु मध्यमा, जमजमे की भांति तुरन्त 'सा' पर होगी। इस प्रकार मिजराब के एक ही प्रहार में नितारेसा या रेसानिसा सरलता से बज जायेंगे। इसे स्पर्श भी कहते हैं। जमजमे को भी एक प्रकार का कण ही समझना चाहिये। परन्तु जमजमा तार को बिना खींचे हुए, अगले स्वर के स्पर्श का नाम है, जबकि कण तार को खींच कर लगाया जाता है। उदाहरण के लिये यदि आपने 'सा' के परदे पर तार अन्दाज इतना खींच लिया कि 'रे' बोलने लगे और उस खिंचे हुए तार पर मिजराब का प्रहार करके शीघ्रता से मींड़ द्वारा 'सा' पर आगये, तो यही क्रिया 'सा' पर 'रे' का कण कहलायेगी। इसी प्रकार, यदि आपने नि पर मिजराब लगा कर, तार को इतना खींच दिया कि तुरन्त ही 'सा' की ध्वनि सुनाई देने लगे, तो इसे 'सा' पर नि' का कण कहेंगे। ध्यान रखिये कि यदि आपने, जिस स्वर का कण लगाना है, उस स्वर से, मूल स्वर तक आने में अधिक समय लगा दिया तो यही क्रिया 'करण' न कहला कर, 'रेसे 'सा' की या 'नि' से 'सा' की मींड कहायेगी। मोटे रूप से जिस स्वर का कण देना हो, उस पर एक चौथाई मात्रा और जिस पर करण दिया जाये, उस स्वर पर तीन चौथाई मात्रा ठहरना चाहिये। साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि तार खींचने की क्रिया अर्थात् मींड में आपका कम से कम समय लगे। एक ही मिज़राब में संपूर्ण आरोही निकालना-- एक ही मिजराब में संपूर्ण आरोही निकालने के लिये 'सा रे ग म' तक स्वर घसीट से निकाले जाते हैं। जैसे ही तर्जनी मध्यम स्वर पर पहुँचती है, उसी लय में तुरन्त मध्यमा अँगुली पञ्चम स्वर पर जमजमे की भांति प्रहार करती है । इस क्रिया से पञ्चम भी सुनाई देने