पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/५४

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छठा अध्याय . 'धिनडा धिनडा धिनानाना', 'धिनडा धिनानाना', 'धिना धिना धिना डाडा' 'धिना धिना डा डा' या 'धिना डा' आदि। इसमें भी इच्छानुसार धिना या डा घटाये बढ़ाये जा सकते हैं। अब पुनः एक नया रूप देखिये । इसमें हमने एक बोल 'डगरा लिया है जो एक प्रकार से 'वाड़ा' जैसा सुनाई देगा। अब इसके जो रूप बनेंगे, उनमें से कुछ केवल 'डगरा' के आधार पर होंगे; कुछ में धिनाना भी जोड़ देंगे और कुछ में दिड या दिडा का मेल भी करदेंगे । जैसेः डगरा, 'डगरा डगरा धिताना धिनाना' 'डगरा धिनाना' मिजराब:- बोल:- Fansaharani बोल: 'डगरा दिड़' 'डगरा दिड़ा' 'डगरा डगरा दिडा' मिज़राबः 'द्दाड़ा दिड़' 'दाड़ा दिडा' 'दाड़ा वाड़ा दिड़ा' बोल: 'डगरा डगरा डगरा डगरा दिड़ दिड़ मिज़राबः- 'दाड़ा बाड़ा द्दाड़ा द्दाड़ा दिड़ दिड' या केवल दो बार डगरा और दो बार दिड़ जैसे: :-डगरा डगरा दिड़ दिड़ द्दाड़ा वाड़ा दिर दिर इस प्रकार चाहे जितनी बार डगरा और दिड़ का मेल किया जा सकता है । धिन और डिर दोनों में दिर बोल ही बजेगा । परन्तु उच्चारण सरल करने के कारण कहीं धिन और कहीं डिर कर दिया है। इसी प्रकार धिना और दिला भी समझिये । अब धिना (दिडा) को मिला कर इसके कुछ रूप देखिये:- बोल:- 'धिन डगरा डिर' 'धिन डगरा डिर डिर' मिजरावा- 'दिड दाड़ा दिर' 'दिर ददाड़ा दिर दिर' बोलः धिन धिन धिन डगरा डिर और अन्त में धिना मिला दिया। मिजराबः- दिर दिर दिर ददारा दिर जैसे: डिर डगरा धिना या इन्हें ही चाहे जिस प्रकार उलट पलट कर और {te or fear भी अनेक रूप बना लिये। जैसी एक मिज़राब हम पीछे 'धिट कतान' की दे आये हैं, बिल्कुल उसी प्रकार बजने वाली एक मिज़राब आपके सामने और रखते हैं। इसे दुबारा दूसरे रूप में रखने का कारण यही है कि इस बोल के साथ में और बोलों का मिश्रण करके उच्चारण कुछ सरल हो जायेगा। यह मिज़राब है 'तक धिलांग' अर्थात् 'विड़ दिडाड़' । अब इसमें तक और धिलांग के मेल से चाहे जितने रूप बना लीजिये। जैसे:-