पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/५६

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छठा अध्याय १५ इसी में यदि 'तक' को बाद में रख दें तो और भी नये रूप बन जायेंगे:- जैसे ('धिंगधाधात् तकतकतक' 'धिंगधावात तकतक' 'ध्रिगधाधात तक' या या द्राददार दिरदिरदिर' 'द्राददार दिरदिर' 'द्राददार दिर' आदि। अब यदि इसके साथ तकिट (बारा) को और जोड़ दें तो और भी अधिक रूप बन जायेंगे। जैसे :- बोल 'तकिट ध्रिगधाधात् 'धिंगधाधात् तकिटतक' या या मिजराब वारा द्रादार द्रावार धारादिर बोल 'तक तकिट ध्रिगधाधात्' 'ध्रिगधाधात तक तकिट' मिजराब द्राद्दार द्राद्दार दिर द्वारा आप भी इन बोलों को दो-दो या तीन-तीन बार बीच बीच रख कर अनेक नयी मिजराबें बना सकेंगे। या दिर दारा इन्हीं में यदि 'ध्रिग' (द्रा) की ही पुनरावृत्ति करदें तो इन्हीं से और भो नये रूप बन सकेंगे। उदाहरण के लिये एक दो बोल देखिये:-[ध्रिग ध्रिग ध्रिग धा धात 'ध्रिग ध्रिग धाधात् द्रा द्दार 'ध्रिग ध्रिग धा धात् ध्रिग धात् या या द्रा दार दार द्रा दार' अब यदि इसमें तकिट ( दारा) या तक (दिर ) को और मिला दें तो और भी मिजरावें बन सकेंगी। जैसे एक-दो देखिये:- 'ध्रिग ध्रिग तक तकिट ध्रिग धाधात्' (G दिर दारा द्रा द्रा द्रा वारः इसी प्रकार इनके मेलों से इतने नये प्रकार बनाये जा सकते हैं कि उनको लिखना असंभव है। इसी में यदि केवल ध्रिग (द्रा) व तक (दिर) को ही ले लीजिये। [ 'ध्रिग ध्रिग तक तक' 'ध्रिग ध्रिग तक' द्रा दिर दिर' 'द्रा या 'ध्रिग ध्रिग ध्रिग तक' अथवा पहिले 'तक' को रख दीजिये; जैसे 'तक तक तक ध्रिग' या 'तक तक ध्रिग' आदि । द्रा दिर