पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/८५

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सितार मालिका राग काफी--(वादी पञ्चम) ग रे ग सासा रे मम धनि ध पप | ग रेरे नि दा दा डा दिड़। दा दिड दा डा दा दा डा दिड दा दिडु प म सा ड़ा X o ३ इतने अधिक उदाहरण देने से हमारा तात्पर्य यही है कि आप अनेक रागों में मसीत खानी गते बनाने का ढंग सीख जायें। वैसे इन नियमों को ही सिद्धान्त मान लेना और सब कुछ समझ लेना उचित नहीं है। गते बनाने में केवल दो ही बातों की आवश्यकता है (१) राग का रूप शुद्ध रहना चाहिये और (२) चाहे जिस प्रकार आप दिड दा डा आदि बजाकर सोलह मात्राएँ पूरी कर लीजिये, परन्तु 'सम' का स्थान (जब तक आप छिपाने का प्रयत्न न करें ) स्पष्ट दिखाई देता रहे। अब चाहे आप अपनी रचना को, चौथी, श्राठवीं, सम, खाली, पन्द्रहवीं या जिससे भी आपकी इच्छा हो प्रारम्भ करें । साथ साथ इस बात को कभी न भूलें कि इस प्रकार की गतों के निर्माण करने में केवल दा दिड' और डा बोल का ही प्रयोग किया गया है । इनमें 'दाड़ दाड़' या 'दा द्रि दाड़ा' श्रादि का प्रयोग कभी नहीं होता । आशा है अब आप प्रत्येक राग में मसीतखानी गतियाँ इसी प्रकार बना सकेंगे। आगे के अध्याय में सैनवंशीय गतों के कुछ ढांचे देखिये।