पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/९

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भाषा के माध्यम से किया त्रिकोणीय विशेषताओं का ज्ञान देना सरल कार्य नहीं है ‌‌जिनके ऊपर गुरु शास्त्र और ईश्वर की सदैव कृपा रहती है उन्हीं के द्वारा यह सम्भव होता है अन्यथा नहीं यह मुझे स्पष्ट प्रतीतहोगया जो बातें साक्षात् (सीना बसीना) शिक्षण दर्शाया गुरु चरण में बैठकर ही अबतक प्राप्त की जाती रही उन्हें भी मैंने भाषा और लिपि बद्ध करने का भरकस प्रयत्न किया है। एक मित्र के कथानानुसार तो यह संगीत परम्परा के क्षेत्र में अभिनव साहसिक कार्य है जिसे मैंने वीणावादन के आशीर्वाद से पूर्ण किया है। इतना होने पर भी यह अपने में पूर्ण हैं, ऐसा मैं नहीं समझता ‌‌ अनेक कमियां और भूलें जो मेरी दृष्टि से श्रोझल है ंंं विज्ञ पाठकों और जिज्ञासु के इंगित करते पर आगामी संस्करण में पूर्ण की जायँगी।