पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/९३

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सितार मालिका राग खम्भावती-- प--प म-प- मां-- रेरेरेरें गं-नारे दाऽऽदि डाऽऽदि डाऽऽदि डाऽडाs दाऽऽs दिदिड दाऽदिडा ऽदिडाऽ ३ X E ) धधमम धप-प रे-मम प-ध- म-सा- डाsss दिडदिड दिडाऽड़ दादिड दाऽड़ाऽ दाऽडाऽ दाड़ाऽ o एक गति राग नायकी कान्हड़ा में और देखिये । म-प सां--- निनिपप ग-ग -गम- दाऽऽदि डाऽदि डाऽदि डाऽड़ाऽ दाऽऽऽ दिदिड दाऽदिड़ा ऽदिड़ा


३ X सा-- रे-पप गमरेरे निसा-सा डाऽऽs दिदिड दिडाऽड़ ग-म- रे-सा- नि-सा- दाऽदिड दाऽडाऽ दाऽड़ा दाऽडा ऽऽदाऽ २ इतने उदाहरणों के पश्चात् मम्भवतः अब आप स्वयं इच्छानुसार अनेक गतों का निर्माण कर सकते हैं। सैन वन्शीय गतों के ढांचे अापने दो प्रकार के समझ लिये। एक तो दो श्रावृत्तियों के लिये और दूसरा एक आवृत्ति के लिये । जो ढांचे ऊपर दिये हैं. आप उन्हें ही सब कुछ न समझ बैठे। आपको सिद्धान्त रूप से यही समझना चाहिये कि 'दिड दा और ड़ा' को किसी भी प्रकार टेढ़े-मीधे ढंग से ऐसे मिलाना है कि सोलह बोल बन जायें । बस आपका ढांचा तैयार होगया। अब आपके सामने एक-दो ऐसे ढांचे रखे जाते हैं, जो ऊपर के ढांचों से भिन्न हैं। (१) दिड दा दिड दा रा दा दा रा दा दा रा दा दिड दा दा रा १३ X ५ o