पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

ग्यारहवाँ अध्याय ७५ इसी प्रकार यदि आप अपनी मसीत खानी गति में से दा ड़ा वाली सातवीं व आठवीं मात्रा को निकाल दें तब भी आपकी चौदह मात्रा का एक ढांचा बन जायेगा। देखिये मसीत खानी १६ मात्रा का ढांचा:- दिड दा दिड दा डा दा दा रा दिड दा दिड दा रादा दा रा १२ १३ ५ ६ ६१०११ इसमें से सातवी व आठवीं मात्रा निकालने के बाद जो चौदह बची, वही आपके आड़े चार ताल के लिये एक ढांचा हो गया। यह ढांचा निम्न प्रकार होगा :- दिड दा दिड दा डा दा दा रा दिड दा दिड दा दा रा X २ ३ w X ६ चार ताल के लिये गते बनाना-- इसी प्रकार बारह मात्रा में भी अनेक ढांचे तैयार किये जा सकते हैं। यद्यपि सितार पर चार ताल बहुत ही कम सुनाई देती है, परन्तु यदि आप चाहें तो ध्रुपद के लिये भी इसी आधार पर अनेक ढांचे तैयार किये जा सकते हैं। ऐसे ढांचों में इस बात की ओर ध्यान रखा जाता है कि गति में गंभीरता दिखाई देती रहनी चाहिये। इसके लिये यदि आपने 'द्रा' या 'दार दार' या 'दा दिर दिर दिर' आदि का प्रयोग अधिक कर दिया तो वह चार ताल की गति न कहा कर उसकी खाना पूरी ही कहायेगी। अतः जहां तक हो ऐसी गतियों में 'डा' और 'रा' का ही प्रयोग अधिक होना चाहिये । उदाहरण के लिये एक ढांचा चार-ताल के लिये देखिये:- २ ३ रा दिड दा दा रा दिड दा दिड दा ड़ा o ० X डा ३ ५ w है १० यहां आप देखेंगे कि हमने इस ढांचे में 'दिड' बोल को भी केवल तीन ही बार लिया है, वरना सब स्थानों पर 'डा' या 'रा' ही है। यदि आप चार ताल को गति के ढांचे को एक प्रावृत्ति के स्थान पर दो आवृत्ति का बनाना चाहें तो वैसा भी किया जा सकता है। इस ढांचे को तैयार करने से पूर्व हम आपको यह बतलादें कि इस चार ताल के ढांचे में भी हमने अामद ( अर्थात् सम प्राने वाले बोलों के क्रम) को वही रखा है जो प्रायः तीन ताल की गलियों में होता है, अथात् सम से पहिले आठवीं मात्रा से 'दिड दा दिड दा डा को ही लिया है। यही नहीं अपितु सम के बाद भी तीन बोलों को ज्यों का त्यों रखा है। इसे आप यूँ भी समझ सकते हैं कि मसीतखानी गति के जो आठ बोल हैं, उन्हीं में 'दिड दा दा डा' चार बोल जोड़कर पूरे बारह बना लिये हैं। इस प्रकार अब दो आवृत्ति के लिये जो ढांचा तैयार करेंगे उसे भी 'दिड दा दिड दा डा दा दा ड़ा' की भांति ही शुरू करेंगे, जिसमें प्रारम्भ का 'दिड' आठवीं मात्रा पर आयेगा । देखिये:-