पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/९८

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ग्यारहवां अध्याय ना तबले के बोलों पर भी गत बना सकते हैं। उदाहरण के लिये झपताल की गति बजाते समय आप "धी ना धी धी ना ती ना धी धी ना" के बोल मन में बोलते रहिये और बजाइये 'दा रा दा दा रा दा रा दा दा रा' तो यह भी आपकी दस मात्रा की ही गति बन गई। परन्तु इसमें 'दिर' बोल न आने के कारण सुन्दरता कम प्रतीत होगी। तेरह मात्रा में गति बनाना--- अब यदि आपको तेरह मात्रा में गति बजानी हो तो मन में आप तबले के बोल बोलते रहिये और उन पर जैसे भी आपकी इच्छा हो दिड दा रा आदि बजाते रहिये । ऐसा करने के लिये आप एक ताल के बोलों में १ मात्रा बढ़ाकर निम्न प्रकार से बोलिये, यही आपकी तेरह मात्रा की गति होगी। जैसे- धी धी ना क त्ता धा गे त्रक धी ३ ४ ग्यारह मात्रा में बनाना:- इसी प्रकार ग्यारह मात्रा में गति बजाने के लिये, एक ताल के बोलों में से ही एक बोल कम कर सकते हैं, जैसे:- धी धी ना त्रक तू ना क धागे ऋक धी ना २ ३ साढ़े नौ मात्रा में गति बनाना अब हम आपको कुछ ऐसी गतियाँ बनाने का ढंग बताते हैं जिन्हें उस्ताद लोग केवल तभी काम में लाते हैं, जबकि वह यह दिखाना चाहें कि ताल पर उनका असाधारण रूप से अधिकार है । यह ढंग साढ़े नौ, साढ़े दस आदि मात्राओं की तालों में गति, तोड़े, तानें, तीये आदि तैयारी से बजाने का रहस्य है। यहां केवल गति ही बनानी सीखिये १ ६ इम रहस्य को बता देने से पूर्व हम यह कह देना भी आवश्यक समझते हैं कि यह क्रिया 'तिल की ओट पहाड़' जैसी है। जब तक आप इसे नहीं समझेंगे, आपको बड़ी कठिन प्रतीत होगी । परन्तु समझ में आते ही इतनी सरल हो जायेगी कि आप स्वयं ही आश्चर्य करने लगेंगे और आपकी दृष्टि में यह बच्चों का सा ही खेल रह जायेगा। इस क्रिया में प्रवीण होने पर आपको गुरिणयों में सम्मान अवश्य प्राप्त होगा। इसलिये पाठक इन रहस्यों को पढ़ कर समझे और अभ्यास करें। साथ ही अनाधिकारी व्यक्तियों से इसे गुप्त रखने का प्रयत्न करें। यह क्रिया इतनी विचित्र है कि यदि दो कलाकार इसी क्रिया के आधार से एक ही मञ्च पर एक ही राग बजाने पैठ जायें, तो सुनने वाले तो दूर, स्वयं दोनों कलाकार भी यह नहीं समझ सकेंगे कि उन दोनों का मूलाधार एक ही है । आशय यही है कि जब तक आप इस क्रिया को कह कर प्रकट नहीं करेंगे, कोई भी श्रोता यह नहीं समझ सकेगा कि श्राप किस आधार से, इन तालों में ऐसी तैयारी से सितार बजा रहे हैं। बल्कि वह यही समझेंगे कि आपका अभ्यास और ताल ज्ञान विलक्षण है, जिसके आधार से आप