पृष्ठ:सिद्धांत और अध्ययन.djvu/१८५

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रस और मनोविज्ञान-रस और सहज प्रवृत्तियाँ १४६ तमोगुण से रहित मन को भी सत्व कहते हैं । शुद्ध मन से सम्बन्ध रखने के कारण ये सात्विक कहलाते हैं, यह मत 'सरस्वतीकण्ठाभरण' के रचियता भोज का है। ___सत्व का अर्थ प्राण का भी है। सात्विक का अर्थ प्राण अर्थात् जीवन-क्रिया मे सम्बन्ध रखने वाले भावों का लगाया जाय तो उनका (सात्विक भावों का) अलग उल्लेख होना सार्थक हो जाता है। रसतरङ्गिणी का यही मत मालूम होता है-'सत्वं जीवशरीरं तस्य धर्माः सात्रिका' (श्रीरामदहिन मिश्र के काव्यदर्पण में उद्धृत, पृष्ठ ७४)। ५ भिन्न-भिन्न मानसिक दशाओं में मनोवेग के रूप :--इस सम्बन्ध में हमारे यहाँ अधिक नहीं लिखा गया है । बालकों में क्रोध या भय जो रूपा धारण करता है वह प्रौढ़ में नहीं । इस विषय में रस-सिद्धान्त को विशेष गति देने की आवश्यकता है। हमारे यहाँ रसों का विभाजन प्रकृतियों के अनुकूल अवश्य है किन्तु एक ही रस का भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में विविध रूप नहीं बतलाया गया है । मनोवेगों का सापेक्षत्व मानना पड़ेगा, इसके व्यावहारिक उदाहरण हमको साहित्य में मिलते हैं । भर्तृहरि ने शृङ्गार-शतक में जिन बातों की प्रशंसा की है वैराग्य में उनकी बुराई की है । जो बात साधारण मनुष्य के लिए भयानक है वीर के लिए नहीं । भयानक की स्वल्प मात्रा में हमको साहस का मानन्द मिलता है। ..' हमारे यहाँ रसों के औचित्य-अनौचित्य का प्रश्न उठाकर भी बहुत महत्त्व का कार्य किया गया है । बड़ों की हँसी करना और कमजोर पर वीरता दिखाना रसाभास माना गया है । मनोवेगों के विवेचन में यह बड़ी देन है। ... . मेक्डयूगल ने मनोवेगों का मूल सहज प्रवृत्तियों ( Instincts ) में माना है । मनोवेग स्वाभाविक प्रवृत्तियों के भावात्मक पक्ष हैं । इन प्रवृत्तियों की . संख्या में मतभेद है। हमारे यहाँ के नौ या दश रसों के रस और सहज स्थायी भावों का सम्बन्धं भी इन सहज प्रवृत्तियों से

प्रवृत्तियाँ दिखाया जा सकता है किन्तु यह नहीं कहा जा सकता है

... . कि इन स्थायी भावों की संख्या किसी विशेष सूची के अनुकूल है, फिर भी सभी . स्थायी : भाव किसी-न-किसी सहज प्रवृत्ति से सम्बन्धित हैं। . .. .. . ..... ... .

हमारे यहाँ जो सञ्चारी भाव माने गये हैं उनमें से कुछ तो इन स्वाभाविक

प्रवृत्तियों से सम्बन्धित हैं किन्तु अधिकांश उनसे बाहर हैं। यही अन्तर स्थायी और संञ्चारी भावों में है। सञ्चारी भावों का सम्बन्ध इन नैसर्गिक प्रवृत्तियों ro ante