पृष्ठ:सिद्धांत और अध्ययन.djvu/२२५

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काव्य के विभिन्न रूप-~-भारतीय परम्परा १३४ । भारतीय परम्परा में काव्य का कई आधारों पर विभाजन किया गया है। पहला प्राधार इन्द्रियों को प्रभावित करने का है; जो काव्य अभिनीत होकर देखा जाय वह दृश्यकाव्य है, जो कानों द्वारा सुना जाय भारतीय परम्परा वह श्रव्यकाव्य . कहलाता है। यद्यपि श्रव्य काव्य ___ पढ़े भी जाते थे (वाल्मीकि रामायण के लिए कहा गया है कि वह पढ़ने और गाने दोनों में मधुर है-~~'पाक्ष्य गेये च मुधरं प्रमाणैस्त्रिभिरन्वितम्'---वाल्मीकीय रामायण, बालकाण्ड /८ ) तथापि उनका प्रचार प्रायः गायन · द्वारा ही हुआ करता था। वाल्मीकि रामायण के गेय गुण की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है-'मध्येसभं समीपस्थाविदं काव्यम- गायताम् । तच्छुत्वामुनयः सर्वे वाष्पपर्याकुलेक्षणा--(वाल्मीकीय रामायण, बालकाण्ड ४।१५)। ऐसा मालूम पड़ता है कि प्राचीन काल में काव्य के प्रचार के दो ही साधन अधिक प्रचलित थे-एक तो मूर्त अभिनय द्वारा जिसमें नेत्र और श्रवण दोनों को प्रभावित करना और दूसरा श्रोताओं के मन तक केवल श्रवणेन्द्रिय द्वारा पहुँच करना। उस समय वैयक्तिक जीवन इतना बढ़ा हुआ नहीं था कि लोग काव्य का आस्वाद कमरे में बैठकर ही करें । उन दिनों काव्य की सामाजिकत दृश्यकाव्य :-दृश्यकाव्य में जनसाधारण भी प्रानन्द ले सकते थे, श्रव्य- काव्य पठित समाज के लिए ही था। इसीलिए उसको पांचवा वेद कहा है जिसमें कि शूद्र अर्थात् अल्प बुद्धि के लोग भी भाग ले सकें :- 'न वेदव्यवहारोऽयं संश्राव्यः शूद्रजातिषु । तस्मात् सृजापरं वेदं पञ्चमं सार्ववर्णिकम् ॥' -नाद्यशास्त्र (१।१२) . कालिदास ने मालविकाग्निमित्र में आचार्य गणदास से कहलाया है कि नाटक सब प्रकार की बुद्धि और रुचि के लोगों के अनुकूल होता है-'नाट्य भिन्नरुचेर्जनस्य बहुधाप्येकसमाराधनम्' (मालविकाग्निमित्र,॥४) । दृश्यकाव्य में देखने वाले को कल्पना पर अधिक जोर नहीं देना पड़ता, उसमें भूत भी वर्तमान की भाँति घटित होता हुआ दिखाई देता है। महाकाव्य, उपन्यास, विषय-प्रधान श्रव्यकाव्यों आदि में भूत का वर्णन भूतकाल के रूप में ही किया जाता है । दृश्यकाव्य में कवि परमात्मा की भांति अपनी सृष्टि में अनुमेय रहता है, वह प्रत्यक्ष नहीं होता । श्रव्यकाव्य में पाठक और श्रोता का सीधा सम्बन्ध रहता है। दृश्यकाव्य में द्रष्टा और. नाटक के पात्रों के बीच में कोई व्यवधान नहीं रहता । दृश्यकाव्य में सृष्टि की अनुकृति जीते-जागते पात्रों द्वारा होती है ।