पृष्ठ:सिद्धांत और अध्ययन.djvu/२३७

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काव्य का कलापक्ष-गुण २०१ और बिना अनेकता के एकता रङ्क और दरिद्र है। अनेकता में एकता द्वारा सम्बद्धता और सुसंगठन के गुण द्योतित होते हैं और एकता में अनेकता द्वारा सम्पन्नता प्रतिपादित होती है। सुसम्बद्ध सम्पन्नता अर्थात् थोड़े में बहुत की व्यञ्जना शैली का मूल गुण है लेकिन वह हो प्रसादयुक्त क्योंकि अति गूढ़ व्यञ्जना का भी निषेध किया गया है। इसीलिए हमारे काव्य में ध्वनि और व्यञ्जना को विशेष महत्ता दी गई है । सुसमन्वित एवं सुसम्पन्न एकता अच्छी शैली का व्यापक आदर्श है। भगवान् भी 'एकाकी न रमते'। अनेकता में एकता का सिद्धान्त शैली के सभी अङ्गों में दष्टिगोचर होता है। भाषा और भाव की अन्विति के साथ में भाव की भी अन्विति रहती है। अनेकता में एकता सौन्दर्य का लक्षण है। ___ भारतीय साहित्य शास्त्र में यद्यपि रस को का० की आत्मा माना गया है तथापि काव्य के अभिव्यक्ति पक्ष की उपेक्षा नहीं की गई है। रस की स्थिति श्रोता या पाठक में मानी गई है। इस कारण से अभि- शास्त्रीय आधार व्यक्ति पक्ष को विशेष महत्व मिला है । भारतीय अलङ्कार-शास्त्र के मुख्य अङ्ग हैं---गुण एवं दोष जिनके आने से रस का क्रमश उत्कर्ष और अपकर्ष होता है, रीति, अलङ्कार, वक्रोक्ति, लक्षणा, व्यञ्जना आदि शब्दशक्तियाँ ये सभी अङ्ग रस की सृष्टि और उसके उत्कर्ष बढ़ाने में सहायक होते हैं । अब हम इनका संक्षेप में वर्णन करेंगे। शौर्यादि की भांति रस के उत्कर्ष-हेतुरूप स्थायी धर्मों को गुण कहा गया है । अलङ्कार भी उत्कर्ष के हेतु हैं किन्तु अस्थायी हैं। गुण दोषों के अभाव-मात्र .. . नहीं हैं.। उनका भावात्मक पक्ष भी है, इसीलिए इन ..... गुण , दोनों का पृथक् वर्णन किया गया है। जिस प्रकार दोषों - का न होना मात्र सौन्दर्य नहीं है उसी प्रकार दोषाभाव- मात्र गुण नहीं है । इस बात को अधिकांश प्राचार्यों ने स्वीकार किया है। काव्य की परिभाषा में मम्मट ने पहले 'अदोषौ' और फिर 'सगुणो' कहा है । बहुत-सी पुस्तकों में ( काव्यप्रकाश, वाग्भटालङ्कार आदि में ) पहले दोषों का वर्णन है फिर गुणों का । वाग्भट ने तो स्पष्ट कह दिया है कि दोष न रहते हुए गुणों के बिना शब्द और अर्थ शोभा नहीं उत्पन्न कर पाते :- 'श्रदोषावपि शब्दार्थोंप्रशस्येते न यैर्विना।' -वाग्भटालङ्कार (३१) ..गुणों की संख्या :--भरत, वामन आदि प्राचार्यों ने शब्द और अर्थ के दश-दश गुणा गाने हैं और भोज ने तो उनकी संख्या चौबीस तक पहुँचा दी