पृष्ठ:सिद्धांत और अध्ययन.djvu/६०

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२२ सिद्धान्त और अध्ययन and emotion.' -~~-Introduction to the study of poetry (pga b7). 'इस परिभाषा में फिर भी अभिव्यक्ति के सौन्दर्य की कमी रह जाती है। " आजकल के हिन्दी लेखकों ने भी कविता को सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा है। उनमें प्राचार्य रामचन्द्र शुक्ल का 'कविता क्या है' शीर्षक लेख बहुत महत्व ____का है। प्राचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ने भी काव्य और द्विवेदीजी और कविता' शीर्षक लेख में अपने विचार प्रकट किये हैं। वे शुक्लजी मिल्टन की परिभाषा से अधिक प्रभावित हैं....कविता सरल, प्रत्यक्षमूलक और रागात्मक होनी चाहिए । वे कविता में असलियत पर जोर देते हए लिखते हैं:- ___ 'सादगी, असलियत और जोश ( मिल्टन के बतलाये हुए तीनों गुण ) यदि ये तीनों गुण कविता में हों तो कहना ही क्या है परन्तु बहुधा अच्छी कविता में भी इनमें से एक-श्राध गण की कमी पाई जाती है। कभी-कभी देखा जाता है कि कविता में केवल जोश रहता है, सादगी और असलियत नहीं। कभी-कभी सादगी और जोश पाये जाते हैं, असलियत नहीं । परन्तु बिना असलियत के जोश का होना बहुत कठिन है । अत्तएन कधि को असलि- यत का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए। -रस-रजन (पृष्ठ १) ___असलियत शब्द को द्विवेदीजी ने बिल्कुल संकुचित अर्थ में नहीं माना है। वे कविता को बिल्कुल इतिहास नहीं बना देना चाहते हैं । वे कल्पना को भी। महत्त्वपूर्ण स्थान देते हुए कहते हैं कि कविता का सबसे बड़ा गुण नई-नई बातों की सूझ है, इसके लिए वे कल्पना ( Imagination ) की बड़ी आवश्यकता स्वीकार करते हैं। रागात्मक तत्त्व को उन्होंने जोश के रूप में लिया है किन्तु उन्होंने उसे विशेष महत्त्व नहीं दिया है। आचार्य शुक्लजी सत्य की अवहेलना न करते हुए भी रागात्मक तत्व को प्रधानता देते हैं। वे लिखते हैं :..- जिस प्रकार प्रात्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कह जाती है उसी प्रकार हृदय की यह मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है। हृदय की इसी मुफ्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द-विधान करती आई है उसे कविता कहते हैं । इस साधना को धम भावयोग कहते हैं और कर्मयोग और मानयोग का समकक्ष मानते हैं । -चिन्तामणि ( भाग १, पृष्ठ १६२ तथा १६३) हृदय की मुक्तावस्था की शुक्लजी ने इस प्रकार व्याख्या की है :----- ... ' 'जब तक कोई अपनी पृथक् सत्ताको भावना को ऊपर किए इस इंन्न