पृष्ठ:सिद्धांत और अध्ययन.djvu/९८

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सिद्धान्त और अध्ययन प्रकार की प्रतिभाओं ( कारयित्री जो कवि में होती है और भावयित्री जो भावक में होती है ) के पारस्परिक सम्बन्ध की समस्या विचारणीय है । उनका विचार पीछे से किया जायगा। . व्युत्पत्ति को काव्यप्रकाशकार ने निपुणता कहा है। यह दो प्रकार से प्राप्त होती है-लोक के ( जिसमें सारा चराचर का ज्ञान प्राजाता है ) निरीक्षण से और काव्य तथा शास्त्रों के अध्ययन से । निरीक्षण में व्युत्पत्ति और जिस बात की कमी रह जाती है उसकी कमी काव्यादि से अभ्यास पूरी हो जाती है, इसीलिए लोक को पहले कहा है-.--'लोक. शास्त्रकाव्याद्यवेक्षणात्' । शास्त्र से सैद्धान्तिक ज्ञान बढ़ : जाता है और उस ज्ञान से कवि अनौचित्य में पड़ने से बच जाता है तथा कोष- .. व्याकरणादि से भाषा-सम्बन्धी भलों से बचने तथा उपयुक्त शब्दावली की खोज में सहायता मिलती है। अभ्यास में गुरु की शिक्षा और संशोधनादि जिसको उर्दू में 'इस्लाह' कहते हैं आजाती है। काव्य के हेतुओं के विवेचन से काव्य के रूप पर भी प्रकाश पड़ जाता है। काव्य के लिए केवल कवि की प्रतिभा ही अपेक्षित नहीं है वरन् संसार और ___शास्त्र का ज्ञान भी वाञ्छनीय है । कवि स्वर्णलूता .. काव्य के रूप ( मकड़ी ) की भांति अपने भीतर से ही तन्तु निकान- .. पर प्रकाश कर ताना-बाना नहीं बुना करता ( मकड़ी भी अपनी खाद्य सामग्री के आधार पर ही तो सूत निकालती है), निरीक्षण और शास्त्रज्ञान के आधार पर ही कवि की अभिव्यक्ति होती है और फिर नये-नये विचार उपयुक्त शब्दों द्वारा प्रकाशित किये जाते हैं। कवि अपने लिए ही नहीं लिखता है वरन् अपने अनुभव को दूसरों तक पहुँचात है। इसमें लोग यह कह सकते है कि कोरी नवीनता पर ही जोर दिया गया है किन्तु ऐसी बात नहीं है । काव्य के प्रयोजनों में 'कान्तासम्मिततयोपदेशयुजे' (अर्थात् कान्ता-का-सा मधुर उप- देश ) और 'व्यवहारविदे' भी है। काव्य' में मौलिकता का विशेष महत्त्व है । मौलिकता और नवीनता में रम- णीयता का मूल है-'क्षण-क्षणे यन्नवतामुपैति तदेवरूप रमणीयतायाः'--क्षण- क्षण में नवीनता धारण करे वही रमणीयता का रूप है। मौलिकता यह रमणीयता तो व्यञ्जना प्रादि से भी आती है किन्तु ' का प्रश्न आकर्षण के लिए नवीनता आवश्यक है। पुरानी चीज ____ से जी ऊब जाता है। पाठक को विचार और मनन के लिए नई सामग्री चाहिए। लेकिन प्रश्न यह है कि मौलिकता हो सकती