पृष्ठ:सूरसागर.djvu/१३२

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तृतीयस्कन्ध-३ अथ कविवर सूरदास कृत- श्रीसूरसागर. तृतीयस्कंध। - अथ शुकवचन ॥ राग विलावल ॥ हरि हरि हरि हरिसुमरन करौ। हार चरणारविंद उर धरौ ॥ शुकदेव हरिचरणन चितलाई । राजासों बोल्यो या भाई ॥ कहौं हरिकथा सुन चित लाई। सूर तरौ हरिके गुण गाई॥१॥उद्धव विदुर संवाद । कृष्णज्ञान संदेश मैत्रेय निकट वतावन । राग बिलावल ॥ जब हरिजू भए अंतध्यान । कहि उद्धवसों तत्त्वज्ञान॥ कह्यो मैत्रेयसों समुझाई । यह तुम विदुरहि कहियो जाई। वद्रिकाश्रम दोऊ मिलि आए । तीरथ करत गए अकुलाए ॥ उद्धव विदुर तहां मिलि गए । दोऊ कृष्ण प्रेम वश भए । उद्धव कह्यो हरि करो जो ज्ञान । कहिहैं तुम्हें मैत्रेय आन ॥ यह कहि उद्धव आगे चले । विदुर मैत्रेय वहुरो मिले । जो कछु हरिसों सुनियो ज्ञान । कह्यो मैत्रेय ताहि वखान । सोइ मोहिं दियो व्यास सुनाई। कहो सो सूर सुनो चितलाई ॥२॥ अथ विदुर नन्म वर्णन ॥ विदुर सुधर्मराइ अवतार । ज्यों भयो कहौं सुनो चित्तधार मांडव्य ऋपि जव शूली दयो । तव सो काठ हरयो वै गयो । माडव्य धर्मराजपै आयो। क्रोधवंत यह वचन सुनायो । कौन पाप मैं ऐसो कियो । जाते मोकू शूली दियो ॥ धर्मराज कह सुन ऋपिराई । क्षमा करौ तौ देउँ सुनाई ॥ बाल अवस्थामें तुम धाई । उडत भारी पकरी जाई ॥ ताहि शूल परशूली दियो । ताको वदलो तुमसों लियो । ऋपि कहै वाल दशा अज्ञान । भयो पाप मोते विन जान ॥ बालापनको लगत न पाप । ताते देउँ मैं तुम्हें शराप ॥ दासीसुत तू है है जाई । सूर विदुर भयऊसो आई ॥ ३ ॥ अथ सनकादिकावतार ॥ ब्रह्मा ब्रह्मरूप उर धारि । मनसों प्रगट कियो सुत चारि ॥ सनक संनंदन सनत कुमारि । बहुरि सनातन नाम ए चारि ॥ ए चारों जव ब्रह्मा किये। हरिको ध्यान धरयो तिहिं हिये ॥ ब्रह्मा कह्यो सृष्टि विस्तारो। उन यह वचन हृदय नहिं धारो ॥ कह्यो यह हम तुमसों चहैं। पांच वरसके नितही हैं। ब्रह्मा सों यह वर तिहि पाई । हरि चरणन चित राख्यो लाई ॥ शुकदेव को जैसे प्रकार । सूर कहै ताही अनुसार ॥ ४॥ अथ रुद्र उत्पत्ति वर्णन । सनकादिकानि कह्यो नहि मान्यो । ब्रह्मा क्रोध बहुत मन आन्यो ॥ तब इक पुरुप भौंहते भयो । होत समय तिहि रोवन ठयो । ताको नाम रुद्र विधि राख्यो । ताको सृष्टि करन को भाख्यो। तिन बहु सृष्टि तामसी करी। सो तामस करि मन अनुसरी । ब्रह्मा मनसों भली न भाई । सूर सृष्टि तव अवर उपाई॥६॥ अथ सप्तऋषि चार मनु उत्पत्ति वर्णन ॥ ब्रह्मा सुमिरन करि अ- ॥ भिरामाप्रगट किये ऋपि सप्त अभिराम। भृगु मरीचि अंगिरा वसिष्टाअनि पुलह पुनि भयो पुलस्त्या -