पृष्ठ:सूरसागर.djvu/४२

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श्रीसूरदासजीका जीवनचरित्र । आलीशान आज तक मौजूद हैं चौधराई का ओहदा जो बहुधा ब्राह्मणोंको मिला औ गोवध वंद हुवा औ हिंदू मुलल्मानों में बहुत मेलजोल होगया ए सब बातें इन्हीं महाराज की कृपा से हुई थीं। (४२) फहीम शेख अबदुल फजल फैजीके कनिष्ट सहोदर सं० १९८० इनके केवल दोहरा हमने पाये हैं ग्रंथ कोई नहीं मिला ए अकबरके वजीर थे। (४३) अभयराम सं० १६०२ कालिदास जीने इनकी काव्य अपने हजारे में लिखा है । (४४) परसिद्ध कवि प्राचीन सं०१९९० ए महान कवीश्वर खानखानाके इहांथे। (४५) विट्ठल विपुल २ गोकुलस्थ श्रीस्वामी हरिदासके शिष्य १५८० इनके पद रागसागरो- द्भवमें, ए महाराज मधुवनमें बहुधा रहाकरतेथे। ____(४६) रहीम कवि ए रहीमकवि खानखानाके सिवाइ दूसरे रहीम, कविता इनकी सरसहै काव्य- निर्णयमें दासकविने इनका नाम एक कवित्तमें लिखाहै परंतु दोनों रहीम अर्थात् अबदुलरहीम- खानखाना और इनरहीमकी फुटकर काव्यका भिन्न भिन्न करना कठिन है। कवित्त सूर केशव मंडन बिहारी कालिदास ब्रह्म चिंतामणि मतिराम भूपण सो जानिए।नीलकंठ नीलाधर निपटि नेवाज निधि नीलकंठमिश्र सुखदेव देव मानिये ॥ आलम रहीम खानखाना रसलीनवली सुंदर अनेक गनगनती बसानिए । ब्रजभापाहेत जसवकीन अनुमान एते एते कविनकी वाणीहूं ते जानिये ॥१॥ (४७) अमरसिंह हाड़ा जोधपुरके राजा सं०१६२१ ए महाराज अमरसिंह श्रीहाड़ावंशावतंस सूरसिंहके पौत्र हैं जिन सूरसिंहने छः लाख रुपया एक दिनमें छः कवि लोगोंको इनाम दियाथा औ जिनके पिता गजसिंहने राजपुतानेके कविलोगोंको धनाधीश करदियाथा राजा अमरसिंहकी तारीफमें जो बनवारी कविने यह कवित्त कहाहै कि (हाथकी बड़ाई की वड़ाई जमघरकी ) सो इसकी वावत टाड साहेवकी किताव टाडराजिस्तानसे हम कछ लिखते हैं प्रगटहो कि राजा अमरसिंह हाड़ा महागुणगाहक औं साहित्यशास्त्रके बड़े कदरदान औ खुदभी महाकविथे इन्हीं महाराजने पृथ्वीराजरायसा चंदकवि कृतको सारे राजपुतानमें तलास कराय ६९ उनहत्तर खंड तक जमा किया जो अब सारे राजपुतानमें बड़े बड़े पुस्तकालयों में मौजूद है शाहजहां वादशाहके इहां अमरसिंहका मनसब तीन हजारीथा जोकि अमरसिंह बहुधा सैर शिकारमें रहा करतेथे इस- लिए एकदफे शाहजहांने नाराज है कछु जुर्माना किया औ सलावतिखांवख्शी उल्ममालिकको जुर्माना वसूल करनेको नियत किया अमरसिंह महाकोधाग्निसे प्रज्वलित दरवारमें आया पहिले एक खंजरसे सलावतिखांका काम तमाम किया पीछे शाहजहां परभी तलवार आवदार झारी तलवार सितूनमें लगी वादशाह तो भागवचे अमरसिंहने पाँच और बड़े सरदार मुग़लोंको मारिआपभी उसीजगह अर्जुन गौर अपने सालेकेहाथसेमारेगये विस्तारके भयसे संक्षेपसे लिखाहै (१९) दील्हकवि सं० १६२५ (५०) नरोत्तमदास ब्राह्मण वाड़ी जिले सीतापुरवाले सं० १६०२ सुदामा चरित्र बनायाहै मानो.प्रेमसमुद्र बहायाहै। ..(५१) चेतनचंद्रकवि सं०१६१६ राजाकुशलसिंहसेंगर वंशावतंसकी आज्ञानुसार अश्वविनोद नाम शालिहोत्र बनाया। __(५४) वारककवि सं० १६६५ ।