पृष्ठ:सूरसागर.djvu/९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

%3- जाहिरात। रामरसायन-रामायण। | भजनामृत-इसमें मंगल गौरी होली. जय ! | ध्वनि पद विनय आरती इत्यादि अनेकप्रकार के भजनहैं साधुओंके वास्ते अतिउत्तमहै । लीजिये पाठको। यह परमप्यारी रसिक- की०१०ट०-२) . . बिहारीजीकी मनोहर काव्यरचना का बहुतही ब्रजविहार-वृन्दावनवासा श्रीनारायण सुंदर ग्रंथ लीजिये, देखिये समग्र ग्रंथ' परम | स्वामीजीकृत-जिसमें श्रीकृष्णचन्द्र आनंदकंद | रोचक दोहा, चौपाई, सोरठा. इत्यादि छंदोबद्ध | वृन्दावनविहारी तथा श्रीवृषभानुनन्दिनी राधे में वर्णित है और सम्पूर्ण ग्रंथ रामकथासे. महारानी की सम्पूर्ण लीलाओं का वर्णन सुन्दर, विभूषित है रामकथामृताभिलाषियोंको तो | अनेक प्रकारके भजन दोहे कवित्त औरवार्तिक । अत्यन्तही सौख्यप्रद है रामजन्म, रामविवाह, | में अतिमधुरतासे किया गयाहै जिसके पढ़ने ॥ वनगमन, सीताहरण, रामरावणसंग्राम. राम- से श्रीकृष्णचरणानुरागियोंका मन प्रेम में एक राज्य, रामाश्वमेध इत्यादि कथायें अत्यन्त | दम मग्न होजाताहै इसमें अधिकतर वही लीला विस्तारपूर्वक वर्णित हैं. काव्यानुरागियो। सम्मिलित कीगई है कि जिनको आज कलके. यह नूतनकाव्य प्राचीनकाव्योंसे किसीप्रकार रासधारी लोग करते हैं अन्तमें अनुरागरसभी .. भावगंभीर, पदरुचिरतामें न्यून नहीं है इसके | है स्थान २ पर चित्र भी सुन्दर लीलानुकूल | लगाये गये हैं पुस्तकको रक्षाके निमित्त विला || पदपदमें काव्यकी छटा चित्तको हर्षित यती कपडेकी जिल्दभी बांधी गई है जिसपर | करतीहै विशेष लिखनेकी आवश्यकता नहीं | सोनेके अक्षर भी लिखे गये हैं मूल्य प्रेमियोंके है. काव्यानुरागी इसके द्वारा शीघ्र रुचि पूर्ण निमित्त चिकनेकागजका २२० डाक म:): करें मूल्य डाकव्यय सहित ४ रु०॥ . I तथा रफ कागजका.॥॥रु० डाक महसूल।) । पुस्तक मिलनेका ठिकाना- खेमराज श्रीकृष्णदास, - "श्रीवेङ्कटेश्वर" छापाखाना-(बम्बई.)