पृष्ठ:सोमनाथ.djvu/२२७

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CG " “मुर्दे का मांस कैसा?" “कमीना हिन्दू धर्म, ऐसा मुर्दा है कि इसकी सड़ी हुई बू से दूर ही रहना चाहिए।" "तुम शोभना के लिए इतना नहीं कर सकते?" “ज़रूरत नहीं है, शोभना के लिए मेरे पास यह तलवार है, लेकिन हम लोग वक्त बर्बाद कर रहे हैं।" “खैर, तो तुम क्या कहना चाहते हो?" “सुलतान की जो ख्वाहिश है, वह तो अर्ज़ कर चुका।" "लेकिन वह तो मेरे बूते की बात नहीं है भाई।" “आप क्या अपने देवता को बचाने के लिए एक अदना औरत की कुर्बानी नहीं कर सकते?" “एक अदना औरत के लिए तुमने अपना धर्म, ईमान, कर्त्तव्य, देशभक्ति, सबको लात मार दी, विदेशी-विधर्मी तुर्क के दास बन गए, अपने ही घर को बर्बाद करने पर तुले बैठे हो, इसके सिवा, गज़नी का अमीर जिसे लेकर सारी मुहिम से ही मुँह फेरने को तैयार हो, उसे तुम ‘अदना औरत' कहकर पुकारते हो? अभी तुम बच्चे हो, देवस्वामी, तुम्हारा सिर फिर गया है, और प्रतिहिंसा और स्वार्थ ने तुम्हें पागल कर दिया है, फिर भी तुम्हें यह भूलना न चाहिए कि तुम किसके दूत हो और किससे बात कर रहे हो-तुम्हें मर्यादा से बात करनी चाहिए।' फतह मुहम्मद का सिर झुक गया। उसने आगे झुककर दामो महता के दोनों हाथ छूकर आँखों से लगाए। फिर कहा, “मुझे माफ कीजिए, आपकी जो भी मर्यादा हो मगर आप मेरे लिए रुतबे में अमीर से कम नहीं हैं। मैंने सिर्फ साफ-गोई की है, अब हुजूर का क्या “खेद है कि अमीर का यह संदेश मैं महाधर्म सेनापति तक नहीं ले जा सकता।" "तो हुजूर, मुझे ही महाराज महासेनापति तक पहुँचा दें।" "तब तो तुरन्त तुम्हारा सिर काट लिया जाएगा, क्योंकि तुम सैनिक नियम के विरुद्ध चोरी से पाटन में आए हो।" "तो हुजूर, क्या मेरी रक्षा न करेंगे?" "नहीं कर सकता, फिर तुम यदि अमीर का संदेश महाधर्म सेनापति तक ले जाना ही चाहते हो तो खुले रूप में अमीर के दूत का अधिकार-पत्र लेकर महाराज के पास जा सकते हो, बाधा नहीं होगी।" "सुलतान के लिए क्या आप कुछ भी नहीं कर सकते?" "सुलतान पर यदि कोई गहरी विपत्ति आ पड़े और वह मेरा आश्रय चाहे तो मैं उसकी मदद इस तलवार की मैत्री के नाम पर करूँगा और तुम जो इस समय चोरी से आए हो, तुम्हें प्राण-दण्ड से बचाकर जीता चला जाने दूंगा, यह काफी नहीं है?" “काफी है हुजूर, मैं सुलतान नामदार से हुजूर की मेहरबानी की बात कहूँगा।" "तुम्हें और कुछ कहना है?" “जी नहीं।" "तो अब तुम जा सकते हो और कभी किसी मुसीबत में तुम्हें एक शुभ चिन्तक की हुक्म है?" co