पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१००

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सोलहवाँ प्रस्ताव

हमदर्दी हो आई; नंदू पर इसे क्रोध भी आया कि यह धूर्त नमकहराम इस मुसीबत और चवकुलिश से किसी तरह रिहाई न पा सके, और इसके फॅसाने की फिकिर मे हुआ। पचानन मुसिफी तक की वकालत की सनद हासिल किए था, इमलिये कानून की बाराकियों को भी भरपूर समझता था। नदू को बातो मे फॅसाय वाबुओं को,आँख के इशारे से वाग के पिछवाड़े की खिड़की से बाहर निकाल दिया।

पंचानन–(नदू से) बाबू नदलाल, आप ऐसे सयाने कौआ इन बगुलों के दल मे कैसे फंसे ? आपको तो अपनी चालाकी का दावा था। 'क्या खूब फैसा कफस में यह पुराना चंडूल-लगी गुलशन की हवा दुम का हिलाना गया भूल।" सच है, सयाना कौआ जरूर गलीज खाता है । खैर, अब बतलाओ, उस्तादों को क्या नजर करोगे, हम इससे पैरवी कर तुम्हे अभी इस मुसीबत से रिहा करे।

नदू–आप यकीन न लावेगे, मेरा इसमें कोई कुसूर नहीं है इन बाबुओं ने मुझे भी फॅसाय खराब किया।

पचानन–जो !आप ठीक कह रहे हैं।भला किसे शामत सवार है कि आप की बात पर यकीन न लावे। हम क्या हमारे बाप-दादा अपने-अपने वक्त. मे सब आप पर यकीन लाए हुए थे। वल्लाह, ऐसे नए नबी पर जो यकीन न लाया, तो कौन दूसरे पैराबर, आवेगे, जो हम-ऐसे गुनहगारों का गुनाह माफ करेंगे। हाल से हमारे प्रपितामह की भेजी हुई