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चतुर्थ अंक
 


कह देना, मैं आज्ञानुसार चलूंगा, और कनिष्क-चैत्य के समीप भेंट होगी।

प्रख्यातकीर्ति---कल्याण हो! (जाता है)

विजया---कहाँ चले हम लोग?

मातृगुप्त---उसी जंगल में।

[सब लोग जाते हैं]