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प्रथम अंक
धातु॰--चाणक्य का नाम ही कौटिल्य है। उनके सूत्रों की व्याख्या करने जाकर ही यह फल मिला। क्षमा मिले तो एक बात और पूछ लूँ; क्योंकि फिर इस विषय का प्रश्न न करूँगा।
अनंत॰--पूछ लो।
धातु॰--उसके अनर्थशास्त्र में विषकन्या का... ..
कुमार॰--( डाँटकर ) चुप रहो।
( नर्त्तकियों का गाते हुए प्रवेश )
- न छेड़ना उस अतीत स्मृति से
- खिचे हुए बीन-तार कोकिल
- करुण रागिनी तड़प उठेगी
- सुना न ऐसी पुकार कोकिल
हृदय धूल में मिला दिया है
- उसे चरण-चिन्ह-सा किया है
- खिले फूल सब गिरा दिया है
- न अब बसंती बहार कोकिल
- सुनी बहुत आनंद-भैरवी
- विगत हो चुकी निशा-माधवी
- रही न अब शारदी कैरवी
- न तो मघा की फुहार कोकिल
न खोज पागल मधुर प्रेम को
- न तोड़ना और के नेम को
- बचा विरह मौन के क्षेम को
- कुचाल अपनी सुधार कोकिल
[ पट-परिवर्तन ]