पृष्ठ:स्कंदगुप्त.pdf/२१४

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मगध का गुप्त-राजवंश
 

मगध का गुप्त-राजवंश (११) डुधगुप्त परादित्य ? ( ई० ४७७-ट९४ ) (१२) तथागतशुप्त परसादित्य ? ( ई० ४९४-५१० ) (१२) भाज्ुगुप्त बालादित्य ( ई० ५१०५२५ ) (१४) बच््रगुप्त अरकटादित्य ( ई० ५३४-५४० ? ) हुग्रा । मंदसौर के ग्िलालेख में जिस कुमारगुप्त का उह्लेख है, , ४९३ वि० ) में बन्धुवम्भ का राज्य मालव पर था, उक्त ४३६ इ० मे उस घात ह. श्र उसी शिलालेख मे जो ५२९ वि० है-- संस्कारितमिदभूय-ः है कुमारंगु प्त भथम का राज्य था 1 का उल्लेख है, क्रेण्या भानुमती ग्ृहं '----ते यह स्पष्ट (११ ) इसके समय मे सगध-सान्राज्य के बड़े-बड़े प्रदेश अ्रलग हुए ! इसका राज्य केवल भगध, अङ्ग श्रौिर काशी तक ही रह गया था । ( २२ ) जोन एलन के मतानुसार यहाँ घटोत्कच का नाम होना चाहिये । परन्तु हेन्त्सांग ने लिखा है कि यशोधम्म के साथ हरानेवाले बालादित्य के पिता का नाम तथागतगुप्त था । इससे हम भानुगुप्त के पित का नाम तथागतगुप्त ही मानने को बाध्य हेाते हैं ! ( १३ ) समय मराध को इसी बाला दित्य ने वचाया । इसीकी श्रोर से एरिक्ए में गोपराज ने चुद किया । सारचाथ में इसीला लेख मिलता है----- तर्दश सम्भ- वोन्यो बालादित्येा नुप: प्रीत्य प्रकटादित्ये ।' No 79, Piate XYIIIC. ( १४ ) प्रकटादिल्य वल्रगुप्त की उपाधि है । इसी वच्रगुस के समय में मालव के गीलादित्य ने मगध छीन लिया, तव से गुप्तबंश वह उस मंदिए के जीखीक्षार का मिहरकुल को जब हुणं से भालव का उदषा र यशोधस्मदेव ने किया इसी पा ग्रधान्य खुप् हु्रा । १