पृष्ठ:स्कंदगुप्त.pdf/२२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
विक्रमादित्य
 

________________

विक्रमादित्य । पहाड़ो राजा शुकवंत ने छीन लिया। उसे विक्रमादित्य ने मार कर दिल्ली का उद्धार किया । इधर प्रसिद्ध विद्वान स्मिथ ने लिखा है कि ईसा के पूर्व दूसरी शताब्दी में शको का उत्थान हुआ जो भारत में उसीके लगभग घुसे । Branches of the barbarian stream which penitrated the Indian passes, deposited settlements at Taxıla in the Punjab and Mathula on the Jamuna Yet another section of the horde at a later date per haps about middle of the first century after Christ pushed on southwards and occupied the peninsula of Sourashtra or Kathiawar, founding a 'Saka' dynasty which lasted uạtıl, it was destroyed by Chandragupta Vikramaditya about A.. D. 390. , The Satraps of Matbura were closely connected with those of Taxila and belong to the same period about 50 B. C or later. | पिछली शक-शाखा के संबंध में, जो सौराष्ट्र गई, यह कहा जाता है कि चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने उसे निर्मल किया; पर वास्तव में ३८५ ईसवी तक समुद्रगुप्त जीवित थे और उन्हीं के समय में ३८२ ई० तक के शक सिके मिलते हैं, बाद के सिक्के बिना संवत् के हैं। इससे प्रतीत होता है कि समुद्रगुप्त के सामने क्षत्रपों का प्रताप निस्तेज हुआ, फिर बिना संवत् के सिक्के बहाँ प्रचलित हुए। तात्पर्य, उक्त समुद्रगुप्त के समय ३८५ तक ही सौराष्ट्र की शक-शाखा का ह्रास हुआ । चंद्रगुप्त का राज्यारोहण-काल