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स्कंदगुप्त
 

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स्कंदगुप्त को पराजित करनेवाला वही विक्रमादित्य हो सकता है, जो ईसवी पूर्व पहली शताब्दी का हो । जैसलमेर के इतिहास में भट्टियों का वर्णन यहाँ वड़े काम | का है। उन्होंने लिखा है कि विक्रमीय संवत् ७२ में गजनी-पति गज का पुत्र शालिवाहन मध्य एशिया की क्रांतियों से विताड़ित होकर भारतवर्षे चला आया, और उसने पंजाब में शालिवाहनपुर ( शालपुर या शाकल ) नाम की राजधानी बसाई । स्मिथ ने जिस दूसरी शक-शाखा का उल्लेख किया है, उसके समय से भट्टियों के इस शालिवाहन का समय ठीक-ठीक मिल जाता है । शकों के दूसरे अभियान का नेता यही शालिवाहन था, जिसके संबंध में भविष्यपुराण' में लिखा है एतस्मिन्नन्तरे तत्र शालिवाहन भूपतिः विक्रमादित्यपौत्रस्य पितृराज्यं गृहीतवान् ॥ कुछ लोग पौन्नश्च' अशुद्ध पाठ के द्वारा भ्रांत अर्थ निकालते हैं जो असंबद्ध है । विक्रमादित्य के पौत्र का राज्य अपहरण करनेवाला शालिवाहन विदेशी था । * प्रबन्ध-चिंतामणि' मे भी शालिवाहन को नागवंशीय लिखा है। गजनी से आया हुआ शालिवाहन शक था । संभवतः उसीने शक-राज्य की स्थापना की और शकसंवत् का प्रचार किया। इसके पिता के ऊपर जिस खुरासान के फरीदशाह के आक्रमण की बात कही जाती है, वह पार्थिया-नरेश ' मिथूडोटस' का पुत्र ‘फराटस द्वितीय रहा होगा । । उस काल में युवेची, पार्थियन और शको में भयानक संघर्ष

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