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स्कंदगुप्त
 

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स्केंदगुप्त दिया । शालिवाहन के सेनापतियों ने दक्षिण में शक-संवत् का अपने शासन-बल से प्रचार किया, और उत्तरीय भारत में आक्रमण और संघर्ष बरावर होते रहे । इसलिये उज्जयिनी में वे अधिक समय तक न ठहर सके । शक-क्षेत्रों ने सौराष्ट्र में अपने को दृढ़ किया, और नवीन मालव-जिसे दक्षिण मालव भी कहते हैं-शीघ्र स्वतन्त्र होने के कारण अपने पूर्व-व्यवहृत मालव-संवत् का ही उपयोग करता रहा। ऊपर के प्रमाणों से यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया गया है। है कि प्रथम विक्रमादित्य-गंधर्ववेद का पुत्र-मालव-गण का प्रमुख अधिपति रहा । उसने मथुरावाली शक-शाखा का नाश किया, और दिल्ली का उद्धार करके जैत्रपाल को वहाँ का राज्य दिया । | सं० १६९९ अगहन सुदी पंचमी की लिखी हुई “ अभिज्ञान शाकुंतल' की एक प्राचीन प्रति से, जो पं० केशव प्रसाद जी मिश्र (भदैनी, काशी) के पास है, दो स्थलों के नवीन पाठों का अवतरण यहाँ दिया जाता है | ( १ ) * आयें रसभाववशेष दीक्षागुरोः श्री विक्रमादित्य साहसाङ्कस्याभिरूपं भूयिष्ठेयं परिपत् अस्यां च कालिदासंप्रयुक्तेनाभिज्ञानशाकुन्तल नाम्ना नवेन नाटकेनोपस्थातव्यमस्माभिः ।” ( २ ) भवतु तवविड़ौजाः प्राज्यटष्टिः प्रजासु त्वमपि वितत यज्ञो वज्रिणं भावयेथा गण शत परिवतैरेवमन्योन्य कृत्यै-- नियतमुभर्यलोकानुग्रहश्लाघनीयै "

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