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स्कंदगुप्त
 

स्कंदगुपस्त प्रन्थों के रचयिता कालिदास छठी शताव्दी में उत्पन्न हुए और वे यशोधस्मेंदेत्र के सभासद थे । इस तरह सहाकवि कालिदास के संबंध में तीन सिद्धान्त प्रचलित है- (१ ) ५७ ई० पूर्वे से सालव के कालिद्ास हुए । ( २) ईसा के चौथे शतक सें चंद्रगुप्त द्वितोय मगधनरेश. के लमकालीन कालिदास हुए। ( ३ ) सालव-नरेश यशोधस्मेंदेव के सभासद् थे । श्रृंगार-तिलक ' आदि श्रन्थों के कत्ता कालिदास केा प्रायः सब लोग इन सहाकवि कालिदास से भिन्न औार सबसे पीछे का- संभवत: तवस या दृशस शताब्दी का-मालते हैं। हम महाकथि कालिदास के संबंध में हो विवेचल किया चाहते हैं । भालव के प्रथम विक्रमादि्त्य केा लोग इसलिये नहीं सानते कि उत्तका कहीं ऐतिहासिक उल्लेख उत्त लोगों को नहीं मिला, और विक्रम-संवत् प्राचोन शिला-लेखों मे मालवगण के नाम से प्रचलित है । परंतु ऊपर यह प्रमाणित किया गया है कि वास्तव से ५७ ईेसवी-पूरे में एक विक्रमाद्त्यि हुए । इस सत को त भानतेवाले विद्वातों से विक्रमादित्य को * चंद्रगुप्त द्वितीय कालिदास का समय खुवंश * में जो सकेत से गुप्वंशी सम्राटेों का उल्लेख है, उसकी संगति इस प्रकार लग्ाई गई ! परन्तु अ्राश्चय्यें को बात है कि चंद्रगुप्न का ससय असाणित करने के लिये जो अवतरण दिये गाये हैं, उसमें चंद्रगुप्त का तो स्पष्ट उल्लेख नहीं है ; हाँ, झुमार- शुप्त औार स्कंद्गुप्त का उस्लेख अधिक औार स्पष्ट है,। यद्ि वे सब कहकर निधारित करने का प्रयत्न किया है । २६

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